: 1. पदों के आभाव में मत्स्य उत्पादन बढ़ाने की तकनीको पर आधारित शोध कार्य ठप
2. विश्वविद्यालय के अन्य विभागों से पिछड़े
3. महाविद्यालय के छात्रों का ICAR पीजी प्रवेश परीक्षा में कमजोर प्रदर्शन
उदयपुर: एमपीयुएटी के संघटक मात्स्यकी महाविद्यालय के एल्युमनी एसोसिएशन और विद्यार्थी दल ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालय में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों की रिक्तियों को भरने की माँग को लेकर चर्चा करना था, जिसमे की कुलपति और रजिस्ट्रार के नाम एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा एक ज्ञापन सौंपा गया। इसमें विद्यार्थियों ने महाविद्यालय की स्थापना के 20 वर्ष बाद भी पर्याप्त टिचिंग एवं नॉन टिचिंग के पदों का ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा निर्धारित न्यूनतम संकाय मानदंडों के अनुसार महाविद्यालय को चलाने के लिए आवश्यक पदों की पूर्ति की जाए। महाविद्यालय के पूर्व में स्वीकृत रिक्त पदों पर भर्ती नहीं होने पर रोष जताया एवं राज्य सरकार को प्रदेश के एकमात्र मात्स्यकी महाविद्यालय में इस सन्दर्भ में त्वरित गति से कार्यवाही का निवेदन किया। छात्रों ने कुलपति महोदय से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन राजस्थान सरकार को तुरंत एक प्रस्ताव भेजे जिसमें महाविद्यालय में नवीन टिचिंग और नॉन टिचिंग पदों का विवरण हो क्योंकि वर्तमान में यहाँ कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं, जिसके कारण छात्रों की शिक्षा और महाविद्यालय के सुचारू संचालन में बाधा आ रही है। इस महाविद्यालय में वर्तमान में मात्र दो पूर्णकालिक प्राध्यापक रह गए है क्योंकि रिटायर होने वाले प्राध्यापकों की संख्या ज्यादा है। छात्रों का कहना है कि इससे पहले भी वे विश्वविद्यालय के अधिकारियों से इस मुद्दे पर मिल चुके हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही दिए गए हैं। रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। छात्रों ने इस बार अपनी माँगों को गंभीरता से लेने और जल्द से जल्द पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है। छात्रों का मानना है कि कॉलेज को ICAR के मानकों के अनुसार चलाने के लिए न्यूनतम संकाय की आवश्यकता पूरी करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें। फैकल्टी की कमी कों देखते हुए इस महाविद्यालय में पीजी कोर्सेज को निलंबित किया जा चूका है इवं राज्य में मत्स्य इवं जलीय पर्यावरण आधारित रिसर्च नहीं होने से राज्य में उपयुक्त मत्स्य प्रजातियों उनके आवासों, एकीकृत मछली पालन में राज्य की जलवायु आधारित मछली बीज चयन, कम कृषि लागत में उत्पादन बढ़ाने की तकनीको पर आधारित शोध कार्य ठप पड़े है। देश में एक और जहाँ मत्स्य पालन आधारित तकनिकों का विस्तार चरम पर है वही राज्य में रिसर्च के आभाव से आने वाले समय में विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
एसोसिएशन द्वारा राज्य में बेचलर ऑफ़ फिशरीज साइंस (BFSc) डिग्रीधारियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी चर्चा हुई, क्योंकि BFSc आईसीएआर द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्रोफेशनल डिग्री है जो की बीएससी (एग्रीकल्चर/होर्टिकल्चर/फॉरेस्ट्री) के समतुल्य चार वर्षीय पाठ्यक्रम है, अतः इस डिग्री को भी राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों में नॉन टिचिंग के पदों (प्रयोगशाला सहायक, प्रोग्राम असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट) पर योग्य घोषित करने का निवेदन किया, क्योंकि यहाँ से डिग्री प्राप्त विद्यार्थी कों राज्य में केवल मत्स्य विभाग में नौकरी के अवसर मिलते है अतः आपके इस कदम से विद्यार्थियों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे। देश के अन्य राज्यों और हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर की भर्ती में किये गए संशोधन से BFSc पाठ्यक्रम के छात्रों को FSSAI की भर्ती के लिए योग्य घोषित किया गया है, इसी अनुरूप राज्य में भी कुलपति के माध्यम से इस दिशा में प्रयास किये जाकर B.F.Sc. स्नातकों को योग्यता प्रदान करवाई जानी सुनिश्चित की जावे। इस पर कुलपति महोदय ने सहमति का आश्वासन दिया जिससे की महाविद्यालय के छात्रों को अन्य कृषि सम्बन्धी डिग्रीधारियों के साथ सामान अवसर मिल सके। कुलपति एवं कुलसचिव महोदय ने छात्रों और पूर्व छात्रों की माँगों को गंभीरता से सुना और आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। ज्ञापन देने के दौरान एल्युमनी एसोसिएशन के संयुक्त सचिव नयन चौहान एवं विद्यार्थियों में अनिल सिंह शेखावत, किशन रार आदि कई छात्र मौजूद थे।