उदयपुर / प्रताप शोध प्रतिष्ठान, भूपाल नोबल्स संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘‘ पुरावतो का इतिहास ‘‘पुस्तक का विमोचन रविवार को प्रताप शोध प्रतिष्ठान व पुरावत संकलन समिति के संयुक्त तत्वाधान से मुख्य अतिथि महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़ के कर कमलों से संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता कर्नल प्रो. शिव सिंह कच्छेर द्वारा की गई।
महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़ के सुसानिध्य में विद्या प्रचारिणी सभा के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रो. शिव सिंह कच्छेर, डॉ. महेंद्र सिंह आगरिया, मंत्री,विद्या प्रचारिणी सभा, मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, प्रबंध निदेशक, भूपाल नोबल्स संस्थान, शक्ति सिंह कराई, वित्तमंत्री विद्या प्रचारिणी सभा, राजेंद्र सिंह, संयुक्त मंत्री, विद्या प्रचारिणी सभा, डॉ.भूपेंद्र सिंह राठौड़ द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया।
समारोह से पूर्व शोभायात्रा निकाल कर टाउन हॉल परिसर में मुख्य अतिथि का पदार्पण हुआ। सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह सालमपुरा ने स्वागत उद्बोधन दिया। मंत्री अजीत सिंह मंगरोप ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़ द्वारा बधाई देते हुए कहा कि यह इतिहास पुरखांे के त्याग को ही नहीं दर्शाता है अपितु पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारों को भी जीवंत रखता है। भारतीय, संस्कृति, परम्परा हमारी विरासत है इसे संजोये रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने कहा कि पुरखो के सत्कर्म से ही आज वंश परंपरा जीवित है जिन्हें जनाना सरदार आज भी अपने जीवन में संजोये हुए हैं। आज प्रसन्नता का विषय है कि महाराणा प्रताप के 11वें पुत्र पूरणमल के वंशजों का इतिहास डॉ.भूपेंद्र सिंह राठौड़ ने लेखनी बद्ध किया है। इतिहास से समाज प्रेरणा लेकर यथार्थ के रूप में चरितार्थ करेगा,उनके विचारों से प्रेरित होकर अपने जीवन को अमूल्य बनाएगा।
डॉ. महेंद्र सिंह आगरिया मंत्री विद्या प्रचारिणी सभा ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रताप शोध प्रतिष्ठान निरंतर नए तथ्यों को उजागर करने हेतु शोध कार्य करता रहता है हमारा प्रयास यह है कि हम नए शोध कर प्रत्येक ठिकाने पर इतिहास का लेखन कर सकें इसी क्रम में पुरावतो का इतिहास लेखन 45 ठिकानों पर अध्ययन कर इसे पुस्तक के रूप में आपके समक्ष रखा।
कर्नल प्रो. शिव सिंह कच्छेर ने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान, भविष्य एवं अतीत के लिए इतिहास लेखन जरूरी है। महाराज पूरणमल को पांच महाराणा की सेवा का सुअवसर मिला जिसे उन्होंने बखूबी निर्वहन किया। प्राथमिक स्रोतों से अध्ययन कर इस पुस्तक की रचना करना हर्ष का विषय है। प्रतिष्ठान ने 60 से अधिक पुस्तकों को प्रकाशित किया है। इस इतिहास को संजोये रखना आपका दायित्व है जो समाज में कई पुरुषार्थ को जन्म देगा से समाज को संबल प्राप्त होगा।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा 22 भामाशाहों का सम्मान भी किया गया।
संचालन डाॅ. अनिता राठौड़ ने किया जबकि धन्यवाद भोपाल सिंह देवली ने दिया।
इस अवसर पर इतिहास प्रणेता उदय सिंह सालमपुरा, मंगरोप बाबा प्रध्यूमन सिंह, डाॅ. युवराज सिंह झाला, गुरला बाबा चन्द्रवीर सिंह, आटून बाबा भंवर सिंह उपस्थित थे।