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प्रताप का प्रतापी जीवनदर्शन आज भी प्रासंगिक है- डाॅ. कर्नाटक

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09 Jun 24
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प्रताप का प्रतापी जीवनदर्शन आज भी प्रासंगिक है- डाॅ. कर्नाटक

उदयपुर 09 जून 2024, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 484 वीं जन्म जयन्ति के उपलक्ष्य में रविवार दिनांक 09 जून 2024 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रांगण मे स्थित महाराणा प्रताप की भव्य अश्वारूढ़ प्रतिमा के समक्ष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक के नेतृत्व मे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी गण, छात्र कल्याण अधिकारी, महाविद्यालयों के अधिष्ठाता सहित अनेक प्राध्यापक, शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघटन के अध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थियों ने महाराणा प्रताप की तस्वीर पर माल्यार्पण किया एवं पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सर्वप्रथम मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक का डाॅ. मनोज महला, छात्र कल्याण अधिकारी एवं अधिष्ठाता डाॅ. लोकेश गुप्ता, डाॅ. पी. के. सिंह, निदेशक डाॅ. आर. ए. कौशिक, डाॅ. अरविन्द वर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। तत्पश्चात् एनसीसी, स्काउट के स्वयंसेवक मुख्य अतिथी को प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा तक स्कोर्ट किया।
डाॅ. मनोज महला, छात्र कल्याण अधिकारी ने सभी पधारे हुए महानुभावों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। इसके पश्चात् सिसोदिया वंश के डाॅ. एस. एस. सिसोदिया, विभागाध्यक्ष, प्रसार शिक्षा एवं प्रताप शोधपीठ के सदस्य ने महाराणा प्रताप एवं मेवाड़ के इतिहास पर प्रकाश डाला। डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक, माननीय कुलपति ने आज के आधुनिक युग तक के अनेक उदाहरण दे कर बताया कि आज का मानव किस प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन आज भी प्रासंगिक है, महाराणा प्रताप ने संघर्ष से भरे एक आदर्श जीवन को जीते हुऐ हमारे आज के जीवन की अनेक अनसुलझी पहेलियों व समस्याओं को सुलझाने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने महाराणा प्रताप को एक कुशल शासक एवं कुशल योद्धा बताया । महाराणा प्रताप ने कृषि के विकास मे भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके काल में चक्रपाणी द्वारा रचित विश्ववल्लभ ग्रंथ पर आगे भी शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रातःस्मरणीय वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप का स्वाधीनता के लिये संघर्ष, वीरता, युद्धनीति, कूटनीति, नैतिकता व अनुशासन पूर्ण जीवन शैली हम सभी के लिये सदैव प्रेरणास्पद रही है और मनुष्य के लिए आज भी प्रासंगिक है।
इस अवसर पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अधिकारीगण, निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. आर. ए.े कौशिक, छात्र कल्याण अधिकारी डाॅ. मनोज महला, सीटीऐई के अधिष्ठाता प्रोफेसर पी. के. सिंह, डेयरी विज्ञान महाविद्यालय एवं राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर लोकेश गुप्ता, सहित अनेक प्राध्यापक, शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघटन, कार्यकारिणी सदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित थे। क्रीडा मण्डल सचिव श्री सोम शेखर व्यास ने कार्यक्रम का संचालन किया।


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