बीकानेर | बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा निति के मंशानुरूप डिजिटलाजेशन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अकादमिक वर्ष 2021 और 2022 में उत्तीर्ण हुए लगभग 18061 छात्रों का डाटा डिजिलॉकर पर प्रकाशित कर दिया गया है। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया की परीक्षा प्रणालियों के अपेक्षित सुधारो को गति देने और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के उदेश्य से नवनीतम प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय डिजिटलीकरण की और बढ़ रहा है, जो नई शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के लिए एक मील का पत्थर है।
कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने कहा कि नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) अकादमिक संस्थानों द्वारा डिजिटल प्रारूप में जमा किए गए अकादमिक डेटा (डिग्री और मार्क-शीट) का एक ऑनलाइन भंडार है। यह छात्रों को किसी भी समय सीधे उनके मूल जारीकर्ताओं से डिजिटल प्रारूप में प्रामाणिक दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है। शैक्षणिक संस्थान स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं और डिजिलॉकर एनएडी पोर्टल के माध्यम से अपने संस्थान के मार्कशीट डेटा को एनएडी पर अपलोड कर सकते हैं। इससे छात्र अपनी पसंद के विश्वविद्यालय में एनईपी के तहत मल्टीपल एंट्री, एग्जिट विकल्प का आसानी से लाभ उठा सकेंगे। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के हित में हर संभव सुविधाएं मुहैया कराने के लिए संकल्पबद्ध है।
परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश जोशी एवं एनएडी पोर्टल की नोडल अधिकारी श्रीमती नीरज चौधरी कार्ययोजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों के लिए न केवल सहूलियत बढ़ेगी, बल्कि भविष्य में भी जरूरत पड़ने पर एक क्लिक पर अभ्यर्थी अपने शैक्षिक अभिलेख प्राप्त कर सकेंगे। विद्यार्थी अपने आइडी-पासवर्ड के जरिए उपाधियां डाउनलोड कर सकेंगे। ऐसे में अब छात्रों को परंपरागत के साथ ही डिजिटल उपाधियां भी प्राप्त होगी। विश्वविद्यालय के एनएडी/एबीसी सेल की इस पहल का उद्देश्य दस्तावेजों में पारदर्शिता और सत्यापन की प्रक्रिया में तेजी लाना है। विश्वविद्यालय ने बीटेक, एमबीए एमसीए पाठ्यक्रमों के लिए अकादमिक वर्ष 2021 और 2022 में प्रदान की गई सभी डिग्रिया अपलोड कर दी हैं एवं सत्र 2021-22 से डिजिलॉकर पर मार्कशीट अपलोड करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जा रही है, इस हेतु विश्वविद्यालय कार्ययोजना बना कर कार्य कर रहा है। डिजीलॉकर का उद्देश्य भौतिक दस्तावेजों के उपयोग को कम करना और एजेंसियों के बीच में ई-दस्तावेजों के आदान-प्रदान को सक्षम करना है। इसकी मदद से ई-दस्तावेजों का आदान-प्रदान पंजीकृत कोष के माध्यम से किया जाएगा, जिससे ऑनलाइन दस्तावेजों की प्रमाणिकता सुनिश्चित रहेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी शैक्षणिक संस्थानों से डिजिलॉकर खाते में जारी किए गए दस्तावेजों में उपलब्ध डिग्री, मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को वैध दस्तावेजों के रूप में स्वीकार किया है। डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ये इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार वैध दस्तावेज हैं। इस प्रणाली के माध्यम से हम दस्तावेज़ीकरण कि अवैधानिक गतिविधियों को रोकने में सक्षम होंगे साथ ही नियोक्ता छात्रों के दस्तावेजों को सुगमता से सत्यापित कर सकेंगे। नौकरी के लिए इंटरव्यू अथवा जांच के दौरान मोबाइल में डिजीलॉकर एप खोलकर विद्यार्थी अपने दस्तावेज हाथों हाथ दिखा सकेगा।