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मनोचिकित्सक बोले—कोविड के बाद बुजुर्गों का मानसिक स्वास्थ्य हुआ प्रभावित

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10 Oct 21
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मनोचिकित्सक बोले—कोविड के बाद बुजुर्गों का मानसिक स्वास्थ्य हुआ प्रभावित


उदयपुर, कोविड महामारी के इस दौर ने विशेष वर्ग के लोगों को मानसिक तौर पर कैसे प्रभावित किया और इस दौर में जीवनशैली का प्रबंधन कैसे किया जाए कि हर आयुवर्ग खुशमिजाज और रोगमुक्त रहें। इस विषय को लेकर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर रविवार को शहर के एक होटल में विशेष कार्यशाला आयोजित हुई।
चेतस हैल्थ केयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट व मुस्कान क्लब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सेमिनार के मुख्य वक्ता मनोचिकित्सक डॉ. आर .के. शर्मा थे जिन्होंने वहाँ बैठे 96 बुज़ुर्ग श्रोताओं के साथ कोविड की वजह से बुज़ुर्गों में होने वाली मानसिक समस्याओं और उनके समाधान के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण खासतौर पर बुजुर्गों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है ऐसे में उन्हें सतर्क और स्वस्थ रखना हमारा दायित्व है ताकि वे निरोगी और दीर्घायु जीवन व्यतीत कर सकें।

मानसिक स्वास्थ्य से बढ़ती है बीमारियां :
डॉ. शर्मा ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को महत्वपूर्ण दिन बताया और कहा कि कोविड की मार से ख़ास तौर पर प्रताड़ित बुजुर्ग वर्ग की पीड़ा महज़ शारीरिक तौर पर ही सीमित नहीं रही अपितु मानसिक तौर पर भी इन्हें ज़्यादा यातनाएं  झेलनी पड़ीं। तथ्य कहते हैं लगभग 10 से 12 प्रतिशत बुजुर्ग मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं और जिन बुज़ुर्गो में लम्बी शारीरिक बीमारियां जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन पहले से है उनमें यह सम्भावना 20 से 40 प्रतिशत तक हो जाती है। कोविड ने इन आकड़ों को और बढ़ा दिया है। डॉ. शर्मा ने आगे कहा बुज़ुर्गों में अवसाद एक बहुत ही अहम् समस्या है पर परिवार के सदस्य ज़्यादातर इसको पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि अवसाद के लक्षण बुज़ुर्गों में थोड़े अलग होते हैं जैसे भूलने लग जाना, दैनिक कार्य में धीमापन, अत्यधिक भावुकता, चिड़चिड़ापन, बेचैनी व घबराहट। कई बार ये बुज़ुर्ग एक लम्बे शारीरिक दर्द व थकान की शिकायत करते हैं व नींद की समस्या ख़ास तौर पर दिखाई देती है। परिवारजन इसको उम्र के साथ होने वाली शारीरिक समस्या मान बैठते हैं व अपने से नींद व् दर्द निवारक दवाईयों का सहारा लेते हैं जो की समस्या को और बढ़ा देता है।  
वक्ताओं ने बताएं व्यस्त व मस्त रहने के तरीके :
कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. ज़ुल्फ़िकार काज़ी (संयुक्त निर्देशक, स्वास्थ्य विभाग, उदयपुर संभाग) ने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बताया व एकजुट होकर मानसिक स्वास्थ्य को सहयोग करने के लिए कहा। विशिष्ट अतिथि आई. एम. ए. उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. आनंद गुप्ता ने इसी विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए जीवनशैली प्रबंधन के खास गुर बुज़ुर्ग श्रोताओं को साझा किये। उन्होंने जीवन के इस छोर पर खुश, व्यस्त व मस्त रहने के तरीके बताये।  बुज़ुर्गों के साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर काम कर रही मुस्कान क्लब की अध्यक्ष श्रीमती श्रद्धा गटानी ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के दिन इस ख़ास कार्यक्रम की सराहना की व कहा कि इस तरह के कार्यक्रम की आज के समाज को खास तौर पर ज़रूरत है।  
कार्यशाला में चेतस हेल्थ केयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. अनिल बंसल व् कोषाध्यक्ष वेद शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बुज़ुर्गों का मानसिक स्वास्थ्य उनकी देखभाल का मुख्य तत्त्व है। परिजनों को खासतौर पर इसका ख्याल रखना चाहिए व् ज़रुरत पड़ने पर मनोचिकित्सकीय सहायता के लिए संकोच ना करें। अरावली हॉस्पिटल व सोनो लैब का इस कार्यक्रम के आयोजन में खासतौर पर सहयोग रहा।

 


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