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देश का बदलता कृषि परिदृश्य चुनौतिपूर्ण-- डॉ ऐ के सिंह

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10 Oct 21
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देश का बदलता कृषि परिदृश्य चुनौतिपूर्ण-- डॉ ऐ के सिंह

उदयपुर । राज कृषि महाविद्यालय की पूर्व छात्र परिषद के वार्षिक सम्मेलन और डॉ ए राठौड स्मृति व्याख्यान डॉ कुसुम राठौड मेमरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान मे रविवार १० ऑक्टोबर को आयोजित किया गया।

परिषद के अध्यक्ष, पूर्व छात्र परिषद, आर सी ऐ, डॉ वी एन जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया और स्मृति व्याख्यान के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ ऐ के सिंह का जीवन परिचय भी प्रस्तुत किया। डॉ एस के भटनागर ने परिषद द्वारा दिये जाने वाले परितोषिक की घोषणा की। इस अवसर पर पूर्व छात्र एवं प्रो पी सी कंठालीया ने बेस्ट टीचर अवार्ड के लिये १.० लाख रुपये और डॉ राजवीर सिंह ने बेस्ट प्लेयर के लिए कोश राशि प्रदान की। उन्होंने बताया कि वर्तमान मे परिषद से १५७७ सदस्य जुडे हुए हैं। उन्होंने वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर कोरोना काल मे हमारा साथ छोड गये दिवंगत सदस्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी दी।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं स्मृति व्याख्यान के प्रमुख वक्ता, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महा निदेशक (बागवानी फसले) ने बताया की पर्याप्त कृषि उत्पादन के बावजूद देश के अधिकांश लोगों मे पोषण की कमी है। आज के समय मे कृषि की आवश्यकताएं भी बदली है। आज कृषि फसलों और उध्यानिकी मे निरंतर नयी चुनोतियों के बावजूद हमे किसान की आय बढाने, कौशल विकास, खेती मे युवाओं की भागीदारी बढाने, कम पानी और ऊर्जा के खर्च की तकनीकें अपनाने, कृषि मे सूचना एवं संचार प्रोध्योगिकी के विकास, और अधिक उत्पादन वाली फसलों के प्रसंस्करण और निर्यात माँगो और बाजार पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि उत्पादों और प्रसंकरित खाद्य उत्पादों की यूरोपीय और सार्क देशों मे बहुत मांग है। सरकार ने नीति आयोग के मध्यम से कृषि निर्यात और कृषि मे विविधता को बढावा देने के लिये एक जिला

एक उत्पादन को बढाने की दिशा मे कार्य प्रारंभ किया है। हालांकि इसके परिणाम आने मे समय लग सकता है। इस परिद्रष्य मे युवाओं, कृषि वैज्ञानिकों और अनुसंधान व शिक्षा के मध्यम से इन चुनोतियों का सामना करने का अव्हान भी किया। उन्होंने मेवाड की धरती को प्रणाम कर, युवा कृषि छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए विभिन्न कृषि योजनाओं ाप किसानो को पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने की सलाह भी दी।

कार्यक्रम के अध्यक्ष, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोध्योगिकी विश्वविध्यालय के माननिय कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह जी राठौड ने पुरस्कृत छात्र छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कोरोना काल मे कृषि ने ही देश की आर्थिक स्तिथि को संबल प्रदान किया है। देश की आजादी के समय देश की जीडीपी मे
कृषि का योगदान १४ प्रतिशत ही था जो अब बढ कर १९.९ प्रतिशत हो गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना जैसी महामारी मे भी प्राकृतिक और जैविक भोजन, मोटा अनाज, शाकाहार और डाइट सप्लिमेंट ने हमे बीमारी से बचाया है। उन्होंने बताया कि एम पी यू ऐ टी ही नही देश के कृषि विकास मे भी आर सी ऐ अलुमनी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगे भी यहाँ के विधार्थी इस परंपरा को निभा कर इस ख्यात नाम संस्था और प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। डॉ राठौड ने बताया कि लॉक डाउन के दोरान भी एम पी यु ऐ टी ने कृषि शिक्षा अनुसंधान और प्रसार क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान दिया है जिसके लिए माननिय कुलाधिपति राज्यपाल महोदय ने भी एम पी यू ऐ टी की प्रांशसा की है। उन्होंने विश्वविध्यालय मे किये गये नवाचारों खास तौर पर गोद लिए गये गावों, कृषि मे आई ओ टी के उपयोग, शोध मे आवश्यक सुधारों इत्यादि का जिक्र करते हुए बताया की विगत २ वर्ष मे ही विश्वविध्यालय की आय पाँच गुना बढ कर ४.९ करोड से २४ करोड पहुँच गयी है।

आर सी ऐ, अधिष्ठाता डॉ दिलीप सिंह ने उपस्थित अतिथियों, पूर्व छात्रों और गणमान्य अतिथियों, प्रेस एवं मीडिया का स्वागत किया और आर सीऐ के संस्थापक प्रथम डीन डॉ ऐ राठौड के जीवन और भारतीय कृषि मे उनके योगदान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मंच पर उपस्थित अतिथियों ने परिषद की सोवनीयर और प्रबुद्ध कृषक पत्रिकाओं का विमोचन किया। कार्य क्रम के अंत मे परिषद के कोषाध्यक्ष डॉ बी आर रणवा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया उन्होंने डॉ कुसुम राठौड ट्रस्ट सहित सभी प्रायोजकों का भी आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सह प्राध्यापक डॉ राम हरि मीणा ने किया।

इन्हे मिला प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान

१. श्रेष्ठ प्रसार कार्यकर्ता - डॉ बहादुर सिंह

२. श्रेष्ठ किसान- श्री अम्बा लाल

इसके अलावा पूर्व छात्रों द्वारा प्रायोजित २७ विभिन्न श्रेणी में पारितोषिक प्रदान किए गए इनमें से डॉ. ए एस परोदा, डॉ के डी सिंह, श्री मदन डांगी द्वारा महाविद्यालय की छात्रा सुश्री चेतना शर्मा को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। पूर्व कुलपति डॉ उमा शंकर शर्मा द्वारा भी इसी वर्ष से स्व. श्रीमती गीता शर्मा स्मृति मे घेषित अवार्ड सुश्री रूचिका चौधरी को प्रदान किया गया।


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