उदयपुर, "भारतीय भाषाओं की विविधता और समृद्धि, राष्ट्र की एकता, सद्भाव और अखंडता का प्रतीक हैं। हमें अपनी मातृभाषा और संस्कृति के प्रति जागरूक होकर इस विविधता को संरक्षित करना चाहिए।"
यह बात जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में कही। कुलपति कार्यालय में "भारतीय भाषाओं की विविधता एवं इतिहास" विषय पर संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि यह दिवस तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर मनाया जाता है और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार में ऐसे कार्यक्रमों की अहम भूमिका है।
कुल प्रमुख बीएल गुर्जर ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम भारतीय भाषा दिवस के लोकाचार के अनुरूप भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने और संरक्षित करने का उल्लेखनीय प्रयास है।
कार्यक्रम में विभिन्न संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने भारतीय भाषाओं की विशिष्टता और गहराई को उजागर किया। डॉ. चंद्रेश छतलानी ने सिंधी भाषा की जीवंतता को अपनी लघुकथा के माध्यम से प्रदर्शित किया। संस्कृत आदि विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं मेवाड़ी और मारवाड़ी का प्रतिनिधित्व भी आकर्षक प्रस्तुतियों के माध्यम से किया गया, जिससे क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं की झलक मिली।
प्रो. सारंगदेवोत के निर्देशन में डॉ. चंद्रेश छ्तलानी, डॉ. ललित सालवी और विकास डांगी द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी में 372 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस पहल ने भारतीय भाषाओं के प्रति युवाओं की रुचि और उत्साह को दर्शाया।
इधर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, डबोक में आयोजित समारोह में प्रशिक्षणार्थियों ने राजस्थानी गीत प्रस्तुत किया और माया सेन द्वारा निर्मित कार्टून कॉमिक्स का विमोचन किया गया। 'भाषा भावों का आधार' विषय पर विमर्श सत्र आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. बलिदान जैन ने भाषा को धर्म और कर्म का माध्यम बताया। विज्ञान संकाय की समन्वयक डॉ. सपना श्रीमाली ने विद्यार्थियों द्वारा भारतीय भाषाओं में बनाए गए पोस्टर और स्लोगन की जानकारी दी।
कार्यक्रम में पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, कुलसचिव डॉ. तरुण श्रीमाली, पीजी डीन प्रो जी एम मेहता, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. चंद्रेश छतलानी, डॉ सपना श्रीमाली, हेमंत साहु, कृष्णकांत कुमावत, डॉ.यज्ञ आमेटा, डॉ. अनिता कोठारी, डॉ. सरिता मेनारिया, विकास डांगी, प्रताप सिंह, लहरनाथ, समेत अन्य संकाय सदस्य और कार्यकर्ता उपस्थित थे।