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भारतीय संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परम्परा हमारे जीवन का आधार

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09 Nov 24
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भारतीय संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परम्परा हमारे जीवन का आधार

निम्बाहेड़ा । भारतीय संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परम्परा हमारे जीवन का आधार है। इसका महत्व अनमोल होने के साथ ही यह हमारे लिए अमूल्य धरोहर भी है।

यह बात राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने शुक्रवार को श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के सभागार में मुख्य वक्ता के रूप में छात्रों को संबोधित करते हुए कही। वे राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में यूथ मूवमेंट राजस्थान और श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय साहित्य, संस्कृति और ज्ञान परम्परा विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी और समृद्व संस्कृतियों में से एक है। इसका विस्तार हजारों वर्षो में हुआ और इसकी जड़ें वेदों, उपनिषदों, महाकाव्यों तथा विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में गहराई से जुड़ी हुई है। भारतीय समाज में ‘‘वसुधैव कुटुंबकम‘‘ का सिद्वांत इस संस्कृति का मूल आधार है।

श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन कैलाश मुन्दड़ा ने महाभारत, रामायण एवं पौराणिक दृष्टान्तों से भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्वविद्यालय में होने वाले वैदिक पाठ्यक्रमों की भी जानकारी दी। यूथ मूवमेंट राजस्थान के संस्थापक शाश्वत सक्सेना ने छात्रों से आहवान करते हुए कहा कि हमें अपने माता-पिता और गुरू के बताये मार्ग पर ही चलना चाहिए और यही जीवन में सफलता मिलने का एकमात्र रास्ता है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅं सरस्वती की वंदना एवं मंत्रोच्चारण और श्रीकल्लाजी की पूजार्चन से हुआ। अतिथियों का स्वागत और उद्बोधन ज्योतिष विभागाध्यक्ष डाॅ. ललित शर्मा द्वारा किया गया। हिंदी विभागाध्यक्ष नटवर लाल भाम्बी ने भी छात्रों को संबोधित किया। योग विभागाध्यक्ष एवं सहायक आचार्य डाॅ. लोकेश चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सहायक आचार्य डाॅ. अनुष्का ओझा ने मंच का संचालन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता चैयरपर्सन कैलाश मुन्दड़ा ने की और विशिष्ट अतिथि चित्तौड़गढ़ की शिक्षाविद श्रीमती शांति सक्सेना और निम्बाहेड़ा के समाजसेवी मनोज सोनी थे।

एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न : भारतीय संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परम्परा विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई । इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ ही विश्वविद्यालय के मुख्य परीक्षा नियंत्रक डाॅ. चन्द्रवीर राजावत, लेखाधिकारी राजेश पारीक, सहायक आचार्यगण डाॅ. रचना शर्मा, डाॅ.सुनील कुमार शर्मा, पुस्तकालय अध्यक्ष देवीलाल कुम्हार, मनीष चांदना, कन्हैयालाल , साक्षी मिश्रा, नेहा शर्मा एवं अन्य आचार्यगण मौजूद रहे।


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