(mohsina bano)
गरीबी हमारे देश की एक बड़ी समस्या है, जिसे मिटाने के लिए कई योजनाएँ और अभियान चलाए गए, लेकिन अब तक इसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका। इसका कारण यह है कि इसे केवल आर्थिक समस्या मानकर समाधान खोजा गया, जबकि यह मानसिकता से भी जुड़ी हुई है।
गरीबी केवल पैसे की कमी नहीं, बल्कि एक सोच भी है। यदि यह केवल आर्थिक अभाव का परिणाम होती, तो दुनिया से अब तक गरीबी खत्म हो चुकी होती। लेकिन कई बार लोग परिस्थितियों को अपनी नियति मानकर आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते। वे अपनी स्थिति बदलने के बजाय उसमें ही जीने के आदी हो जाते हैं।
अक्सर देखा जाता है कि कुछ परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी में ही जीते हैं। इसका कारण केवल संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि वह मानसिकता है, जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकती है। जब बच्चे बचपन से ही सुनते हैं कि "हम हमेशा से गरीब हैं" या "गरीबी हमारी किस्मत है", तो वे भी इसे अपनी सच्चाई मान लेते हैं और उसी अनुसार जीवन जीते हैं। इस सोच को बदलना ही गरीबी से बाहर निकलने का पहला कदम है।
गरीबी से बाहर आने के लिए केवल धन की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। जो लोग अपनी मानसिकता बदलने में सफल हुए हैं, वे गरीबी से बाहर निकल पाए हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि गरीब रहना उनकी नियति नहीं, बल्कि एक स्थिति है, जिसे बदला जा सकता है।
गरीबी की बेड़ियाँ तोड़ने के लिए आत्मविश्वास, ज्ञान और कौशल जरूरी हैं। जब तक व्यक्ति यह नहीं मानेगा कि वह बदलाव ला सकता है, तब तक कोई भी उसकी मदद नहीं कर सकता। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी सोच को सकारात्मक बनाएँ, नई चीजें सीखें, कौशल विकसित करें और खुद को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करें।
गरीबी केवल आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि मानसिकता से जुड़ी हुई एक स्थिति है। जब तक हम अपनी सोच नहीं बदलते, तब तक गरीबी से मुक्त होना मुश्किल रहेगा। गरीबी को दूर करने के लिए सरकार के प्रयासों के साथ-साथ समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी, ताकि कोई भी व्यक्ति केवल मानसिकता के कारण गरीबी के जाल में न फँसे। सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास से गरीबी को हराया जा सकता है।