GMCH STORIES

“विजया-दशमी दशहरा पर्व और रावण के वध की यथार्थ तिथि”

( Read 16764 Times)

12 Oct 21
Share |
Print This Page
“विजया-दशमी दशहरा पर्व और रावण के वध की यथार्थ तिथि”

ओ३म्
प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं। इस पर्व से यह घटना जोड़ी जाती है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म के पर्याय लंका के राजा रावण का वध किया था। क्या यह तिथि वस्तुतः रावण वध की ही तिथि है? ऐतिहासकि प्रमाण इस तिथि के विषय में क्या कहते हैं? इस पर लेख में विचार कर रहे हैं। 

    श्री राम चन्द्र जी के जीवन, व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रामाणिक ग्रन्थ बाल्मीकि रामायण है। बाल्मीकि रामायण को आधार बनाकर पंडित हरिमंगल मिश्र, एम0ए0 द्वारा लिखे गये ग्रन्थ ‘प्राचीन भारत’ ग्रन्थ के परिशिष्ट में दशरथनन्दन रामचन्द्र जी की जीवन संबंधी घटनाओं की तिथियों की जो दो जन्त्रियां दी हैं उनमें रावण वध की तिथि ‘‘वैशाख कृष्ण चतुर्दशी” दी है। उक्त ग्रन्थ में ही उद्धृत पं. महादेव प्रसाद त्रिपाठी कृत ‘‘भक्ति विलास” के आधार पर दूसरी तिथि ‘फाल्गुन शुदि एकादशी’ गुरुवार ज्ञात होती है। एक अन्य विद्वान पंडित हरिशंकर जी दीक्षित अपनी ‘त्यौहार पद्धति’ में लिखते हैं ‘‘रामायण का कथन (आश्विन शुक्ला दशमी को रावण वध) इस विश्वास का विरोध करता है। बाल्मीकि रामायण में यह स्पष्ट लिखा है कि आज के दिन महाराजा रामचन्द्र ने पम्पापुर से लंका की ओर प्रस्थान किया था और चैत्र की अमावस्या को रावण का वध कहा गया है। इससे (पंडित हरिशंकर दीक्षित के अनुसार) यह स्पष्ट विदित होता है कि महाराजा रामचन्द्र जी की विजय तिथि चैत्र कृष्णा अमावस्या है। 

    उर्युक्त प्रमाणों के अनुसार आश्विन शुक्ला दशमी को महाराज रामचन्द्र जी का विजय दिवस अर्थात् विजया-दशमी पर्व मनाना बाल्मीकि रामायण से सिद्ध नहीं होता और न ही गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘रामचरित मानस’ ग्रन्थ से ही इस दिन रावण वध वा ‘महाराज राम का विजय दिवस’ सिद्ध होता है। 

    रामायण में यह भी वर्णित है कि रामचन्द्र जी ने वर्षा ऋतु के चार मासों में पम्पासुर में निवास किया था। सुग्रीव ने रामचन्द्र जी को आश्वासन दिया था कि वर्षा ऋतु के समाप्त होने पर उनके द्वारा सभी दिशाओं में दूतों को भेज कर महाराणी सीता जी की खोज की जायेगी। वर्षा ऋतु के बाद, कुछ विलम्ब से, सीता जी की खोज आरम्भ हुई थी। सुग्रीव के मंत्री हनुमान जी खोज करते हुए लंका जा पहुंचे थे। वहां से आकर रामचन्द्र जी को उन्होंने सीता जी की लंका में उपस्थिति का शुभ सन्देश दिया था। इसके बाद युद्ध की तैयारियां की गईं। समुद्र पार सेना के जाने व आने के लिए समुद्र पर पुल बनाया गया था। पुल बनने के बाद सेना लंका पहुंचती है और राम चन्द्र जी व लंकेश रावण की सेनाओं में घोर युद्ध होता है जो कई दिनों तक चलता है। इस युद्ध का परिणाम रावण का वध होता है। इस विवरण से तो यही प्रतीत होता है कि आश्विन शुक्ला दशमी तक तो सीता जी की खोज भी शायद ही पूरी हो पायी थी। अतः रावण वध व राम विजय की तिथि आश्विन शुक्ला दशमी रामायण के प्रमाणों से प्रमाणित नहीं होती। 

    उपर्युक्त विवरण से रावण वध वा राम विजय की तीन तिथियां विदित होती हैं जो क्रमशः फाल्गुन शुक्ला एकादशी, चैत्र कृष्णा अमावस्या और बैशाख कृष्ण चतुर्दशी इन तीन में से कोई एक है। हमारा निजी मत है कि यदि वर्ष में एक बार राम विजय का पर्व आश्विन शुक्ला दशमी में ही सम्मिलित कर मनाया जाता है तो इसे मनाने में कोई हानि भी नहीं है। हमें सत्य इतिहास का ज्ञान होना चाहिये। किन्हीं कारणों से अतीत में हमारे पूर्वजों ने आश्विन शुक्ला दशमी के दिन मनाये जाने वाले पर्व में विजयादशमी के इस विजय दिवस पर्व को भी जोड़ दिया होगा। इससे यह पर्व अनेक महत्ताओं वाला पर्व बन गया है। सत्य के प्रतीक महाराजा राम ने असत्य व पाप के प्रतीक रावण को मारा था। हमें राम चन्द्र जी के गुणों को धारण करना है और रावण के अवगुणों से दूर रहना है। यही इस पर्व का अर्थ वा तात्पर्य प्रतीत होता है। 

    प्राचीन काल में इस पर्व से अनेक प्रयोजन जुड़े रहे हैं। यह पर्व क्षत्रियों का पर्व है। वह इस दिन अपने अपने आयुद्ध तलवार एवं युद्ध की सामग्री का परिमार्जन कर उन्हें युद्ध करने योग्य बनाते थे और देश को सुरक्षित रखने व शत्रु से रक्षा व उस पर विजय की योजना बनाते थे। सम्भवतः इसी कारण रावण वध की आदर्श घटना इस पर्व की प्रतीक मानी गयी है। इस अवसर पर कृषक व वैश्य अपने भावी कार्यों का मूल्यांकन व कार्यों का आरम्भ करते थे, ऐसे संकेत मिलते है जिनका होना सम्भव है। इन सब का मिला-जुला यह पर्व है जिसे इसके महत्व का विचार कर मनाना चाहिये। 4 वर्ष पूर्व भारत ने म्यमार के भारत विरोधी आतंकी ठिकानों पर सफल सर्जिकल स्टाइक की थी। एक वर्ष पूर्व भी भारत ने पाकिस्तान में प्रवेश कर उनके आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था और उरी पर आतंकी हमले व उसमें 19 देशभक्त सैनिकों के बलिदान का बदला लिया था। ऐसे कुछ अन्य उदाहरणों को भी हम इस पर्व के अवसर पर स्मरण कर सकते हैं व गौरवान्वित हो सकते हैं। मोदी सरकार के नेतृत्व में यह घटनायें व कार्य देश व सेना के गौरव का अपूर्व ऐतिहासकि कार्य हुआ है। हम पूर्व की सरकारों से ऐसे कार्यों का अनुमान भी नहीं कर सकते थे। यह विजय भी इस पर्व व उल्लास को मनाने का हमारा कारण होना चाहिये। इससे पूर्व रामायण एवं महाभारत में प्रस्तुत व उपलब्ध इतिहास में हमारे देश के वीरों की वीरता के उदाहरण देखने को मिलते हैं। हमें यह भी लगता है कि दशमी के दिन मनाये जाने के कारण इसका नाम दशहरा है। विजया दशमी पर्व की सभी पाठकों को हार्दिक शुभ कामनायें। 

हमने इस लेख में रावण वध वा राम विजय की तिथि विषयक जानकारी आर्यपर्व पद्धति से सधन्यवाद ली है। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121 


Source :

Warning: Undefined array key 0 in /home/pressnot/public_html/showpage.php on line 470

Deprecated: explode(): Passing null to parameter #2 ($string) of type string is deprecated in /home/pressnot/public_html/showpage.php on line 470
This Article/News is also avaliable in following categories :

Warning: Undefined array key "HTTPS" in /home/pressnot/public_html/showpage.php on line 242
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like