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उदयपुर होटल लाइसेंस विवाद: व्यवसायियों की नाराजगी बढ़ी

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11 Feb 25
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(mohsina bano)

उदयपुर। उदयपुर के होटल व्यवसायियों ने नगर निगम द्वारा 10-वर्षीय लाइसेंस को रद्द कर 1-वर्षीय लाइसेंस प्रणाली लागू करने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष एवं बिज़नेस सर्कल इंडिया टूरिज्म के अध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव सुधांश पंत को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। इस पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को भी भेजी गई हैं।

10-वर्षीय लाइसेंस की बहाली की मांग

राणावत ने पत्र में उल्लेख किया कि 20 सितंबर 2024 को तत्कालीन जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल के प्रयासों से उदयपुर नगर निगम ने 10-वर्षीय लाइसेंस देने का निर्णय लिया था। यह कदम "ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस" नीति के तहत लिया गया था, जिससे होटल व्यवसायियों को राहत मिली थी। लेकिन दिसंबर 2024 में नगर निगम ने अचानक इस निर्णय को पलटते हुए फिर से वार्षिक लाइसेंस प्रणाली लागू कर दी, जिससे होटल उद्योग में असंतोष फैल गया है।

व्यवसायियों की पांच प्रमुख चिंताएं:

  1. प्रशासनिक बोझ: हर साल लाइसेंस नवीनीकरण से समय और संसाधन की बर्बादी।
  2. नीतिगत विरोधाभास: सरकार पर्यटन संवर्धन की बात करती है, लेकिन यह कदम विपरीत है।
  3. राजस्व पर असर: होटल उद्योग जीएसटी और आयकर में बड़ा योगदान देता है, लेकिन अनावश्यक प्रक्रियाओं से बाधित हो रहा है।
  4. व्यापार में असंतोष: होटल व्यवसायियों में नाराजगी बढ़ रही है, जिससे पर्यटन निवेश प्रभावित हो सकता है।
  5. पर्यटन उद्योग को खतरा: नीतिगत अस्थिरता से निवेश और विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग

होटल एसोसिएशन और बिज़नेस सर्कल इंडिया टूरिज्म ने सरकार से 10-वर्षीय लाइसेंस बहाल करने और जिला कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त को निर्देश देने की मांग की है ताकि होटल व्यवसायियों को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सके।

राणावत ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि यह साबित हो कि राजस्थान सरकार पर्यटन और व्यापार अनुकूल नीतियों के लिए प्रतिबद्ध है।

आंदोलन की चेतावनी

होटल एसोसिएशन उदयपुर के अध्यक्ष और बिज़नेस सर्कल इंडिया के संस्थापक मुकेश माधवानी ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को तुरंत 10-वर्षीय लाइसेंस प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यटन उद्योग के विकास में सहायक होगा और सरकार को भी अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस मुद्दे का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो होटल व्यवसायी आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए विवश होंगे। अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या होटल व्यवसायियों को राहत मिलती है या नहीं।


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