उदयपुर। एचडीएफसी बैंक ने अपनी सीएसआर पहल ‘परिवर्तन’ के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से पूरे भारत में यंग माइंड्स के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को याद करते हुए बाल दिवस मनाया। इस अवसर पर बैंक ने ‘लिटिल स्माइल बिग ड्रीम्सथ’ नामक एक डिजिटल अभियान शुरू किया है, जिसमें ‘एचडीएफसी बैंक परिवर्तन’ द्वारा समर्थित स्कूलों के प्रतिभाशाली युवा छात्रों को दिखाया गया है। पिछले 10 वर्षों में, परिवर्तन ने 2.16 करोड़ से अधिक छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है, 20.22 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है और 2.87 लाख से अधिक स्कूलों को सहायता प्रदान की है
एचडीएफसी बैंक परिवर्तन ने 2025 को देखते हुए, स्पष्ट उद्देश्य निर्धारित किए हैं, जिनमें यह सुनिश्चित करना कि स्कूलों में 20 लाख छात्र कक्षा-उपयुक्त सीखने के स्तर को प्राप्त करें। 3,500 स्कूलों में डिजिटल शिक्षा और प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए स्मार्ट कक्षाएं स्थापित करना एवं 25,000 वंचित छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करना, ताकि निरंतर शिक्षा और उज्जवल भविष्य तक पहुँच सुनिश्चित हो सके, इत्यादि शामिल है।
एचडीएफसी बैंक के उप प्रबंध निदेशक कैजाद एम भरुचा ने कहा कि एचडीएफसी बैंक में हम मानते हैं कि शिक्षा हमारे समुदायों के लिए एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य की आधारशिला है। ‘परिवर्तन’ के तहत हमारी सीएसआर पहलों के माध्यम से हम शैक्षिक बुनियादी ढांचे को बदलने, व्यक्तियों को सशक्त बनाने और लचीले समुदायों को विकसित करने में मदद करने के लिए अपना काम कर रहे हैं। हम एक ऐसे भविष्य के निर्माण में निवेश कर रहे हैं जहाँ हर बच्चा बड़ा सपना देख सके और अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सके। इस बाल दिवस पर, हम यंग माइंड्स को सशक्त बनाने, शिक्षकों को प्रेरित करने के कौशल से लैस करने और अधिक समावेशी और आशाजनक कल के लिए बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
एचडीएफसी बैंक के सीएसआर प्रमुख नुसरत पठान ने कहा कि बच्चे हमारे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, और हम उन्हें वे उपकरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिनकी उन्हें आगे बढऩे के लिए आवश्यकता है। यह विश्वास हमें सरकारी निकायों, गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक संगठनों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शैक्षिक संसाधन और सहायता उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।