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आईडीएफसी लिमिटेड के साथ आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का विलय सफलतापूर्वक पूरा हुआ

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28 Sep 24
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आईडीएफसी लिमिटेड के साथ आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का विलय सफलतापूर्वक पूरा हुआ

मुंबई : आईडीएफसी फर्स्ट बैंक द्वारा आज बोर्ड बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान, बैंक ने घोषणा की कि उसने आईडीएफसी लिमिटेड के साथ विलय पूरा कर लिया है। यह घोषणा शेयरधारकों और नियामकों से सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त होने के बाद की गई, और 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होगी।

विलय के परिणामस्वरूप, आईडीएफसी लिमिटेड के प्रत्येक 100 इक्विटी शेयर्स के लिए बैंक के 155 इक्विटी शेयर्स आवंटित किए जाएँगे। यह आवंटन उन शेयरधारकों पर लागू होता है, जिनके पास रिकॉर्ड तिथि, 10 अक्टूबर, 2024 तक आईडीएफसी लिमिटेड के शेयर्स हैं। उम्मीद है कि नियामक प्रक्रियाओं और मंजूरी के अधीन, शेयर्स 31 अक्टूबर, 2024 को या उससे पहले आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारकों को जमा कर दिए जाएँगे।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के विलय के निम्नलिखित लाभ हैं:

सरल कॉर्पोरेट संरचना: विलय के बाद, बैंक के पास बिना किसी होल्डिंग कंपनी के एक सरल कॉर्पोरेट संरचना होगी।

सरल शेयरहोल्डिंग संरचना: शेयरहोल्डिंग संरचना भारत के अन्य शीर्ष निजी बैंकों के समान होगी, जिसमें कोई प्रवर्तक हिस्सेदारी नहीं होगी। बैंक पेशेवर रूप से प्रबंधित संस्थान बना रहेगा।

नकद और नकद समकक्ष: विलय के तहत, लगभग 600 करोड़ रुपए नकद और नकद समकक्ष बैंक को हस्तांतरित किए जाएँगे।

बकाया चुकता शेयर्स में कमी: आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में रखे गए आईडीएफसी लिमिटेड के 2,64,64,38,348 इक्विटी शेयर्स रद्द कर दिए जाएँगे। बदले में, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहमत स्वैप रेश्यो के अनुसार आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारकों को 2,47,99,75,876 नए इक्विटी शेयर्स जारी करेगा। इस प्रकार, बैंक की चुकता शेयर पूँजी में 16,64,62,472 इक्विटी शेयर्स की कमी होगी। इसके परिणामस्वरूप, लेनदेन के बाद बैंक की चुकता पूँजी 7,48,27,31,991 शेयर्स से घटकर 7,31,62,69,519 इक्विटी शेयर्स हो जाएगी।.

लाभांश का भुगतान करने के लिए पात्र: बैंक को अपने शुरुआती वर्षों में कुछ मुख्य कारणों के चलते नुकसान का सामना करना पड़ा था, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेट लोन और गुडविल राइट-ऑफ जैसे मुद्दे शामिल थे। इससे शेयरधारकों को लाभांश देने की बैंक की क्षमता सीमित हो रही थी। विलय योजना के तहत, संचित घाटे को बैंक के प्रतिभूति प्रीमियम खाते से समायोजित किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, अब बैंक भविष्य में लाभांश देने पर विचार कर सकेगा।

नियामक अनुपालनों को सरल और सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।


भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले दशकों में देश में कई अवसर उत्पन्न होंगे। बैंक के पास बेहतर क्षमताओं और एक मजबूत ब्रांड के साथ-साथ एक सरल शेयरहोल्डिंग और कॉर्पोरेट संरचना है। भारत द्वारा प्रदान किए जाने वाले महत्वपूर्ण अवसरों का लाभ उठाने के लिए बैंक बेहतर स्थिति में है। एक यूनिवर्सल बैंक के रूप में, यह अपने ग्राहकों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है, जो इसे इस गतिशील वातावरण में विकास के लिए तैयार करता है। 

विलय के बारे में बोलते हुए, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक लिमिटेड के एमडी और सीईओ श्री वैद्यनाथन ने कहा,

"आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और आईडीएफसी लिमिटेड के बीच आज विलय की जो घोषणा की गई है, वह दो वर्षों की कड़ी मेहनत का प्रतीक है। मैं आईडीएफसी लिमिटेड का आभारी हूँ कि उन्होंने पूरी संरचना को सरल बनाने, चुनौतियों से निपटने और विलय को संभव बनाने के लिए महत्वपूर्ण सहायक चर्चाएँ कीं। मैं सभी नियामक प्राधिकरणों को उनके महान मार्गदर्शन और समर्थन के लिए भी धन्यवाद् देता हूँ, जिससे इस विलय को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद मिली।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के पास अब बिना किसी प्रमोटर होल्डिंग के एक सरल कॉर्पोरेट संरचना होगी। बैंक ऑफ अमेरिका, जेपी मॉर्गन, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक जैसे सभी ग्लोबल कॉर्पोरेशंस पेशेवर संस्थान हैं, जिनमें कोई प्रमोटर हिस्सेदारी नहीं है। इसी तरह, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक भी खुद को उनकी तरह एक स्थायी संस्थान के रूप में स्थापित कर सकता है। इस लिहाज से यह विलय बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

वर्ष 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 30-35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। उम्मीद है कि इससे बैंकिंग के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न होंगे। विशेष रूप से, आगामी 20 वर्षों में भारतीय क्रेडिट बाजार में 15 गुना वृद्धि होने की उम्मीद है। छोटे आधार वाले शुरुआती चरण के बैंक के रूप में, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक इस वृद्धि पर काम करने के लिए बेहतर स्थिति में है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार से क्रेडिट वृद्धि के अलावा व्यापार वित्त, विदेशी मुद्रा, लेनदेन बैंकिंग और नकदी प्रबंधन में भी अवसर बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, समृद्धि की राह पर आगे बढ़ने के साथ भारत के धन प्रबंधन उद्योग में भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने विगत कुछ वर्षों में प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) 18,000 करोड़ रुपए से अधिक और सालाना 50% से अधिक की वृद्धि के साथ इस क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित की है।

विगत पाँच वर्षों में, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने एक उत्कृष्ट कार्य संस्कृति, बैंकिंग के लिए एक नैतिक दृष्टिकोण, डिजिटलीकरण व टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान और समाज की बेहतरी के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाई है। हमारा मानना ​​है कि ये महत्वपूर्ण बिंदु आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को भविष्य में विश्व स्तरीय बैंक के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित होंगे।


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