देश में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमो के विद्यार्थियों के लिए तकनीकी शिक्षा उच्च मानको के साथ उनके कैरियर निर्माण के लिए आरटीयू नए आयाम स्थापित कर रहा हैं। आरटीयू के सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि आरटीयू में इंजीनियरिंग पाठयक्रमों की गुणवत्ता एक बार पुनः राष्ट्रीय कसौटी पर खरी उतरी है। नेशनल बोर्ड ऑफ
एक्रेडिटेशन (एनबीए) द्वारा बीटेक की तीन ब्रांचो-मेकेनिकल, इलेक्ट्रोनिक्स एवं कम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रोनिक्स इंस्टूमेन्टेशन एंड कंट्रोल, का प्रत्यानन जून 2027 तक के लिए बढा दिया हैं।जिसके साथ ही आरटीयू प्रदेश का सर्वाधिक 8 एनबीए एक्रेडिटेशन वाला प्रथम तकनीकी विश्वविद्यालय बन गया है। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के गुणवत्ता निर्धारण और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में राजस्थान तकनीकी विश्विद्यालय द्वारा कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह के दूरगामी दृष्टिकोण और उनके निर्देशन में शैक्षणिक गुणवत्ता के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर नए मानक निधारित किए गए है, जो विश्वविद्यालय की अकादमिक एक्रेडिटेशन की उपलब्धियों और उत्कृष्टता को निरंतर बढ़ा रहे है।
कुलपति प्रो. एसके सिंह के अथक प्रयासो और तकनीकी शिक्षा की उन्नति की संकल्पना के साथ आरटीयू के खाते में असंख्य उपलब्धियां दर्ज कर रहा हैं। कुलपति प्रो.एसके सिंह ने कहा की तकनीकी शिक्षा के वैश्विक परिदृश्य में संस्थानों की अंतर्राष्ट्रीयकरण रैंकिंग की मांग में वृद्धि हुई हैं। एनबीए एक्रीडिटेशन होने से विद्यार्थियों के बीटेक पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलेगी साथ ही विद्यार्थियों के लिए रोजगार के नवीन अवसर सृजित होंगे। आज प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों दुवारा एनबीए उपलब्धियों को रेखांकित किया जा रहा हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों और नियोक्ताओं ने आज एनबीए कॉलेजो को अपने प्लेसमेंट की प्राथमिकता में शामिल किया हैं। रैंकिंग की इस विश्वसनीय प्रणाली विधार्थियों के विश्वास की अवधारणा को विकसित किया हैं। नि:संदेह एनबीए एक्रेडिटेशन से राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की ख्याति वैश्विक शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित होगी। आज के युग में शैक्षणिक संस्थानों मानदंडीकरण के महत्व में वृद्धि हुई हैं। योग्यता निर्धारण किसी भी शैक्षणिक संस्थान की गुणवत्ता कसौटी होते हैं इसलिये प्रत्यायन महत्वपूर्ण हो जाता है। एनबीए एक्रेडिटेशन द्वारा विश्वविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और पहचानना ही मुख्य उदेश्य हैं।