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सीमाओं में बांधकर भाषाओं का विकास संभव नहीं है- डाॅ. मलय पानेरी

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11 Sep 24
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सीमाओं में बांधकर भाषाओं का विकास संभव नहीं है- डाॅ. मलय पानेरी

उदयपुर,  भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी  संकाय के हिन्दी विभाग और  राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी दिवस गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. शिल्पा राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हिन्दी हमारे प्रतिदिन की भाषा है। इसका व्यवहार हम प्रतिदिन करते हैं। यह सदैव जीवंत रहनेवाली भाषा है। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करने का संकल्प कराता है। गोष्ठी के मुख्य वक्ता डाॅ. मलय पानेरी ने बतौर मुख्य वक्ता उद्बोधन देते हुए कहा कि हिन्दी सदैव समर्थशाली और सशक्त भाषा रही है और रहेगी। इसकी सर्वग्राहिता ही इस भाषा की सबसे बड़ी  शक्ति है। सीमाओं में बांधकर भाषाओं का विकास संभव नहीं है। यह भाषा भले ही संवैधानिक शक्ति प्राप्त कर चुकी है, परन्तु भारतीय जनता के द्वारा इसका अधिकाधिक प्रयोग किये जाने परा यह सदैव सामथ्र्यवान बनी रहेगी। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से हिन्दी भाषा के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि आज के दिन हमें हिन्दी के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए सकंल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर पत्रवाचन करते हुए डाॅ. निर्मला शर्मा ने हिन्दी के वर्तमान स्वरूप के बारे में परिचय देते हुए कहा कि जब तक हम सच्चे मन से हिन्दी के प्रति समर्पित नहीं होंगे इस भाषा के भविष्य को लेकर चिन्ता बनी रहेगी। वैश्विक परिदृश्य में अन्य देशों का अपनी भाषाओं के प्रति जैसा आग्रह और प्रयोग है वैसा ही आग्रह और प्रयोग हिन्दी के प्रति होना चाहिए। दूसरे पत्रवाचक के रूप में मदन सिंह रावत ने हिन्दी के विकासक्रम को स्पष्ट करते हुए हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग किस तरह किया जा सकता है पर विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिन्दी भाषा के प्रयोग के माध्यम इलेक्ट्राॅनिक माध्यम बन चुके हैं। इसलिए यह भाषा अपनी अस्मिता बनाए रखेगी। हिन्दी के व्यावहारिक प्रयोग की आवश्यकता है। इस अवसर पर प्रो. श्रीनिवान अय्यर ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी समृद्ध भाषा है। हिन्दी भाषा में शब्दगत विविधता ही इस भाषा की विशेष पहचान है। उन्होंने कहा कि हिन्दी बोलते हुए जब तक हम गौरव की अनुभूति नहीं होगी तब तक इसके भविष्य को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है। वरिष्ठ साहित्यकार श्रेणीदान चारण ने अपनी भाषा के प्रति अनुराग को लेकर कविता पाठ कर वातावरण को नई ऊर्जा से भर दिया। इस अवसर पर अतिथियों, संकाय सदस्यों द्वारा पोस्टर पर हिन्दी में हस्ताक्षर कर हिन्दी के प्रति अपने भाव अभिव्यक्त किये। इस अवसर पर विश्वविद्यालय चैयरपर्सन कर्नल प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत, विद्या प्रचारिणी सभा के मंत्री डाॅ महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड, विश्वविद्यालय कुलसचिव डाॅ. निरंजन नारायण सिंह खोड ने हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। विभागाध्यक्ष डाॅ.हुसैनी बोहरा ने भारतेन्दु जयंती पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा किये गये हिन्दी के प्रति महत्वपूर्ण कार्यों का स्मरण किया और अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डाॅ. कीर्ति चुण्डावत ने किया। समस्त स्टॉफ और विद्यार्थीगण उपस्थित थे। 


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