भीलवाड़ा, संगम ग्रुप की फैक्ट्री में उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया जब एक ईनामी योजना को लेकर श्रमिकों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा एक योजना लागू की गई थी, जिसके तहत 25 फरवरी से 31 मार्च के बीच यदि किसी यूनिट के श्रमिक निर्धारित टारगेट एफिशिएंसी के साथ 25 दिन की उपस्थिति दर्ज कराते हैं, तो उन्हें पुरस्कार स्वरूप नकद राशि दी जाएगी। योजना की शर्तों के अनुसार, जिन यूनिट्स ने एफिशिएंसी टारगेट पूरा किया, उन्हें 2 अप्रैल को ईनाम वितरित कर दिया गया।
हालांकि, 3 अप्रैल की सुबह कुछ यूनिटों के श्रमिक, जिन्होंने टारगेट एफिशिएंसी तो नहीं दी लेकिन 25 दिन हाजिरी दर्ज की थी, वे भी ईनाम की मांग को लेकर एकत्र हो गए। अधिकारियों द्वारा योजना की शर्तों को दोहराकर समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन श्रमिक अपनी मांगों पर अड़े रहे।
स्थिति उस समय बिगड़ गई जब हो-हल्ला और नारेबाजी बढ़ने लगी। इसी दौरान, हाइवे पर गश्त कर रही पुलिस की 112 नंबर की गाड़ी मिल परिसर में प्रवेश कर गई। पुलिस वाहन को देख श्रमिक उग्र हो गए और पथराव व लाठी-डंडों से हमला करने लगे। गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और फैक्ट्री के अधिकारियों पर हमला करने की कोशिश की गई। अधिकारियों को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला गया।
इसके बाद श्रमिकों ने फैक्ट्री के ऑफिस में घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दी, दरवाजों और शीशों को नुकसान पहुंचाया गया। स्थिति को बिगड़ता देख प्रशासन का विशेष जाब्ता मौके पर पहुंचा और अधिकारियों की उपस्थिति में श्रमिकों से वार्ता कर उन्हें शांत कराया गया। अंततः श्रमिकों को कार्य पर पुनः लगाया गया।
उल्लेखनीय है कि संगम ग्रुप में अब तक प्रबंधन और श्रमिकों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। ऐसे में अचानक हुई इस हिंसक घटना को लेकर कुछ वरिष्ठ अधिकारी इसे सुनियोजित साजिश मान रहे हैं। प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि कुछ बाहरी तत्वों ने स्थिति को भड़काने का प्रयास किया।
प्रबंधन ने उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है। पुलिस स्थिति पर नियंत्रण बनाए हुए है और मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। फैक्ट्री परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और हालात सामान्य बनाए रखने के लिए निगरानी की जा रही है।