(mohsina bano)
बांसवाड़ा । इस्कॉन बांसवाड़ा द्वारा अंकुर स्कूल में आयोजित सत्संग संकीर्तन समागम में आध्यात्मिक चिंतक, लेखक व प्रचारक बृजमोहनदास प्रभु ने श्रीमद्भगवद्गीता के गूढ़ रहस्यों और आध्यात्मिक जीवन सूत्रों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि गीता न केवल व्यक्तिगत बल्कि समष्टिगत जीवन की दिशा निर्धारित करती है और वैश्विक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
गीता अपनाएं, शरणागति में भाव लाएं
उन्होंने गीता के 18 अध्यायों और 700 श्लोकों को जीवन, जगत, धर्म और अध्यात्म का सार बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को गुरु मानकर शरणागति भाव अपनाएं और उनकी वाणी को मंत्र मानकर भक्ति व साधना में प्रवृत्त हों।
कर्म के प्रति रहें जागरूक
प्रभु ने कहा कि हमारे कर्म ब्रह्माण्ड में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और वही ऊर्जा लौटकर जीवन पर प्रभाव डालती है। इसलिए विवेकपूर्वक पवित्र कर्म करें और अनासक्त भाव से जीवन व्यतीत करें।
दिव्य पूजन-अर्चन व भक्ति संग संकीर्तन
कार्यक्रम में निमाई प्रभु, वरुण प्रभु, श्रीमती चंद्रकांता माताजी व रचना व्यास ने दिव्य पूजन-अर्चन संपन्न कराया। साधकों ने भजनों व कीर्तन से भक्ति का आनंद लिया।
विशेष सम्मान व गीता भेंट
आरंभ में हेमंत पाठक, अरुण व्यास सहित कई साधकों-साधिकाओं का उपरणा ओढ़ाकर स्वागत किया गया और श्रीमद्भगवद्गीता भेंट कर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में मानस, अजय रौनक, कुशल, चैतन्य, डिंपल, डॉ. युधिष्ठिर त्रिवेदी, कैलाश मूंदड़ा, हरिप्रसाद मेहता, सुरेश, नैमिष, दीपिका, हिमानी पाठक सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।