बांसवाड़ा। श्री लालीवाव मठ महंत महामंडलेश्वर हरि ओम शरण दास महाराज ने कहा है कि सनातन की शाश्वत पहचान प्राणी मात्र के उद्धार की सद्भावना के रूप में रही है ।
उन्होंने कहा कि सनातन का व्यापक अर्थ प्राणी मात्र को साथ लेकर चलना है। सनातन सपने में भी तोड़ने की बात नहीं करता अपितु सदियों से वह जोड़ने का ही पक्षधर रहा है ।
महामंडलेश्वर हरि ओम शरण दास महाराज उजास परिवार के तत्वाधान में निकटवर्ती टामटिया अहाड़ा गांव में श्री हनुमान जयंती की पूर्व संध्या पर काव्य निशा में आशीर्वाद संबोधन प्रदान कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व एसआई हरिश्चन्द्र सिंह सिसोदिया ने की जबकि विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सज्जन सिंह राठौड़, कृष्णपाल सिंह सिसोदिया, अतीत गरासिया थे। आयोजन के दौरान मुख्य वक्तव्य वरिष्ठ शिक्षाविद् , साहित्यकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर प्रकाश पंड्या का रहा। उपस्थित रचनाकारों ने राष्ट्रवाद और राम महिमा सहित सनातन संस्कृति में हनुमत चरित्र की महिमा से जुड़ी स्तरीय रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया।
*अहंकार मुक्त सेवा भाव हनुमानजी से सीखें*
मुख्य अतिथि पद से संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर हरि ओम शरण दास महाराज ने भगवान हनुमान जी महाराज के जीवन चरित्र से जुड़ी विशेषताओं का बखान किया और कहा कि अपने आराध्य प्रभु श्री राम के प्रति इतना समर्पित कर दिया कि उन्होंने अपने भीतर से अहंकार शब्द को ही मिटा दिया ।
उन्होंने कहा सेवा का भाव हनुमान जी महाराज से सीखना चाहिए । लंका में पहुंचने पर विभीषण जब उन्हें उनका परिचय जानना चाहते हैं तो वे मैं को त्याग कर प्रभु श्री राम का गुणगान करने लगते हैं । महाराज ने कहा कि वर्तमान समय की विषम परिस्थितियों के लिए अधिक संख्या लोगों का मैंमय हो जाना है । महामंडलेश्वर में भगवान किया की नैतिक मूल्य और सनातन संस्कृति के आदर्शों को अपना कर ही देश को सर्व समर्थ बनाया जा सकता है।
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*सिंहों की बस्ती में गुरुकृपा से दहाड़ती है कविता-पंड्या*
कार्यक्रम के दौरान अपने मुख्य वक्तव्य में वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं मोटिवेशनल स्पीकर प्रकाश पंड्या ने दार्शनिक और आध्यात्मिक शैली में संबोधित करते हुए कहा कि सिंह की बस्ती में सिंह का दहाड़ना प्रभु कृपा का प्रमाण है जबकि सिंह की बस्ती में कविता का दहाड़ना गुरु कृपा का द्योतक है। उन्होंने सनातन संस्कृति में सप्त चिरंजीवी चरित्र में हनुमान जी महाराज का गुणगान करते हुए कहा कि हनुमानजी महाराज जीवन प्रबंधन के शाश्वत गुरु है। काव्य निशा में उपस्थित बच्चों, किशोरवय: और तरुण श्रोताओं का आह्वान न किया कि वे जीवन को सफल सार्थक और राष्ट्र उपयोगी बनाने के लिए हनुमान जी महाराज के चरित्र से सदैव प्रेरित होते रहे । उन्होंने हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए गोस्वामी जी ने हनुमत चरित्र के माध्यम से सफल और सार्थक जीवन के मंत्र प्रतिष्ठित किए हैं।
जीजीटीयू कुलगीत रचयिता वरिष्ठ कवि हरीश आचार्य ने काव्य समारोह की गरिमा के अनुकूल प्रासंगिकता के मद्देनज़र स्वामी भक्ति की मिसाल रहे श्रीहनुमान जी के ईष्ट श्रीराम जी को समर्पित आध्यात्मिक ग़ज़ल " रघु कुल रीत को ख़ूब निभाया प्रभु श्रीराम ने, मर्यादित चलन अपनाया प्रभु श्रीराम ने ...वचन को प्राण से बड़ा बताया प्रभु श्रीराम ने , प्राण रहते वचन निभाया प्रभु श्रीराम ने " प्रस्तुत करते हुए वातावरण को जय श्रीराम बना दिया ।
*50 वर्षों की नियमित साधना पर गर्ग का अभिनंदन*
टामटिया अहाड़ा गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर कि विगत 5 दशकों से नियमित साधना पूजा अर्चना और हनुमत सेवा करने वाले प्रखर साधक जगदीश गर्ग का सेवा समर्पण के लिए ग्रामवासी जन और साधकों द्वारा अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर हरि ओम शरण दास महाराज ने उन्हें अपने स्वयं की माला उपरणा और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
यहां उल्लेखनीय होगा कि जगदीश गर्ग विगत 50 वर्षों से बिना एक दिन खंडित हुए इस मंदिर पर सेवा और पूजा अर्चना का दायित्व संभाले हुए
हैं । गर्ग आध्यात्मिक क्षेत्र के प्रखर साधक होने के साथ ही ज्योतिष ,प्राकृतिक नियम के आधार पर वर्ष फल के उद्भट विद्वान हैं।
*यह रही प्रस्तुतियां*
शिक्षाविद् हरिकृष्ण आचार्य ने मेला देखन आई सखी री, भागवत कुन्दन ने वन्दे वन्दे भारत माता, वन्दे वन्दे राजस्थान, प्राची पाठक ने प्रेम रस की कविता, महेश पंचाल माही ने धो न सकी माँ सरयू भी हैं, किये कौनसे पाप, हिमेश उपाध्याय हिम ने व्यंग्य रचना भिखारी की इंटर्नशिप, हेमन्त पाठक राही ने मिल जाए कहीं बुजुर्ग तो दिल निकाल कर रख रचनाएं पढ़ी।
आयोजन के दौरान वीरेन्द्र सिंह राव और सूर्यकान्त त्रिवेदी ने भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर विवश किया।
आयोजन के लिए गांव के प्रवीण सिंह सिसोदिया, लाल सिंह सिसोदिया, गोविंद भोई, चिराग सिंह सिसोदिया, कृष्ण पाल सिंह सिसोदिया, नाथू भोई, कालूराम भोई, मोगाजी यादव, सरपंच अमरेंग कटारा, प्रवीण सिंह सिसोदिया, हनुमान सिंह सिसोदिया, देवाजी कटारा, माधवजी पंचाल, शंभू भाई, रमेश जी कलाल , केसरी सिंह , हितेंद्र सिंह,देवेंद्र पंचाल , हरनारायण सिंह , हेमंत भोई, तकदीर सिंह का सहयोग रहा।
कार्यक्रम में डॉ. नरेश पटेल आदि ने विचार व्यक्त किए तथा भारती आचार्य, नवीन त्रिवेदी निरंकारी, अशोक पाठक आदि मौजूद रहे । संचालन उजास परिवार के संयोजक भँवर गर्ग ‘मधुकर’ ने किया और हूँ पानी की बूंद सरीखा लेकिन मुझको सिन्धु लिखना, जब भी मेरा नाम लिखो तुम नाम से पहले हिन्दू लिखना कविता पढ़ी, जबकि आभार चंद्रपाल सिंह सिसोदिया ने माना। कार्यक्रम उपरान्त प्रसाद वितरण किया गया।