बाँसवाड़ा। उजास परिवार द्वारा बसन्त पंचमी और गार्गी जयन्ती पर केन्द्रित एक साहित्यिक अनुष्ठान का आयोजन किया। इस साहित्यिक यज्ञ में शहर के गणमान्य कवियों, शायरों और साहित्य प्रेमियों ने अपनी अपनी आहुतियां दी।
समारोह की अध्यक्षता शिक्षाविद साहित्यकार प्रकाश पंड्या ने की जबकि मुख्य अथिति गर्ग समाज गौरव पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी रणछोड़ गर्ग तथा विशिष्ठ अथिति वरिष्ठ शायर और दोहाकार सईद मंज़र, ठीकरिया के पूर्व सरपंच समाजसेवी नारेंग डोडियार, तकनीकि शिक्षाविद प्रतिभा जैन ने रहे। संचालन भंवर गर्ग ‘मधुकर’ ने किया जबकि मीनाक्षी गर्ग ने आभार माना।
कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों ने भगवान विष्णु की तस्वीर और तुलसी दल का पूजन, दीप प्रज्वलन और पुष्पहार अर्पित कर किया। इस अवसर पर सभी उपस्थित जनसमुदाय ने ‘या कुंदेतु तुषार हार धवला...’ सरस्वती स्तुति का समवेत स्वर में गान किया। इसके उपरान्त उजास परिवार के जगदीश गर्ग, सरस्वती गर्ग और विजय गर्ग ने अतिथियों और साहित्यकारों का फूल मालाओं से स्वागत अभिनन्दन किया।
शुरुआत में तारेश दवे ने ‘हे! शारदे माँ कृपा तुम्हारी बरस रही है मेरे स्वरों में...’ सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। साहित्यिक गोष्ठी में वरिष्ठ कवि हरीश आचार्य ने ‘जैसे थे भीतर वे बाहर भी वेसे थे। अंजाम की फ़िक्र नहीं कहते सो करते थे। शूलों के साज़ पर गाते वे नग़में थे ...फूलों के मौसम में निराला जन्मे थे’ जैसे भावोद्गार व्यक्त करते हुए छायावादी स्तंभ साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी को आदरांजलि दी। गार्गेय ऋषि के ज्योतिष शास्त्र में योगदान को स्मरण करते हुए यह आह्वान भी किया ‘अप्प दीपो भवरू होकर ग्रहमान अँधेरा दूर करो , हे गार्गेय ऋषि के वंशजों ! तुम संकल्पित हो जाओ’ इसके साथ ही रस परिवर्तन का आनंद प्रदान करते हुए वागड़ी ग़ज़ल ‘नदी नो कनारो नीं मलश्यो अमैं नावड़ु सोड़ी ने आयवा...’ प्रस्तुत की। शुभ अवसर बसंतोत्सव के इस अवसर पर सदी के विराट महाकुंभ प्रयागराज से सकुशल धार्मिक यात्रा कर लौटे राष्ट्रवादी स्वयंसेवक विट्ठल डी. आचार्य का भी उजास परिवार की ओर से स्वागत-अभिनंदन किया गया... उन्होंने महास्नान के रोचक संस्मरण भी सुनाए। वरिष्ठ साहित्यकार शिक्षाविद प्रकाश पंड्या ने ‘जिसने उजाड़े सरसब्ज बाग, उस पतझर का बस-अन्त लिख’ कविता प्रस्तुत की जिस पर सभी ने जमकर तालियां बजाईं। मधुर गीतकार तारेश दवे ने ‘तुम किसी और कि रातों को अमावस कर के, अपनी रातें कभी पूनम बना नहीं सकते’ प्रस्तुति पर खूब तालियां बटोरी। शिक्षाविद साहित्यकार अमिता शर्मा ने ‘बड़ी मुश्किलों से मिली है ये मंजिले हमको, इन्हें संवारना हमारी जिम्मेदारी है दोस्तों!’ कविता द्वारा देश के प्रति नागरिकों के नैतिक कर्तव्यों को निभाने का सन्देश दिया। शहर के वरिष्ठ शायर सईद मंज़र ने उजास परिवार संस्था के मूल्यों की सराहना करते हुए ‘माँ इसकी बुनियाद है, इसकी छत है बाप, घर की हर एक चीज पर, है दोनों की छाप’ रचना सुनाई।
नवीन त्रिवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि निरंकार मिशन की तरह ही उजास परिवार द्वारा सभी को साथ लेकर कार्य किया जाता रहा है जो प्रशंसा योग्स है। सूर्यकान्त त्रिवेदी, मीनाक्षी गर्ग, पूजा तारेश दवे ने विदुषी गार्गी, बसन्त पंचमी विषयक विविध गीतों, भजनों की प्रस्तियों से समां बांध दिया। इस अवसर पर मनीष जैन, दिनेश पटेल, बंसीलाल चरपोटा, रेणुका गर्ग, नताशा, रोशिता, ऊर्वी, प्रथम आदि ने रचनात्मक सहयोग प्रदान किया।