राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, भूंगड़ा में गुरुवार को आर्यिका विज्ञानमति माताजी के प्रवचनों का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माताजी ने वाणी के संयम पर बल देते हुए कहा कि “धीरे बोले, कम बोले, मीठा बोले” का मूल मंत्र आत्मसात करें। उन्होंने परीक्षा के समय वाणी के सुंदर उपयोग को श्रेष्ठ परिणाम का आधार बताया।
संघ की आर्यिका आदित्यमति माताजी ने सुंदर लेखनी को सुंदर जीवन का आधार बताया और ब्रह्ममुहूर्त में पढ़ाई के लाभ गिनाए। ब्रह्मचारी विजय ने ग्राम्य जीवन को सुंदर बताते हुए इसे शहर से बेहतर बताया। उन्होंने संतों की तुलना आकाश और बादल से करते हुए उन्हें मानवता के कल्याण का प्रतीक बताया। संघ में अन्य आर्यिकाएं वरदमति, शरदमति, चरणमति, शरणमति और सुवीरमति माताजी भी उपस्थित थीं।
पुस्तकालय को मिली अमूल्य भेंट
विद्यालय के संस्थाप्रधान दिनेश कलाल ने माताजी को श्रीफल भेंट किया। माताजी ने विद्यालय पुस्तकालय को अपनी पुस्तकें "सभ्य परिवार", "संस्कार मंजूषा भाग-1 और 2" तथा "मारवाड़ के मार्तंड" भेंट स्वरूप दीं। कार्यक्रम का संचालन नरेश कलाल ने किया। विद्यालय परिवार के सदस्यों और जैन समाज के गणमान्यजनों ने भी सहयोग और उपस्थिति दर्ज की।