बांसवाड़ा | प्राचीनतम सिद्ध तपोभूमि लालीवाव मठ में आयोजित विराट धार्मिक महोत्सव के सातवें दिन मंगलवार को विभिन्न विशिष्ट अनुष्ठानों में श्रृद्धा का सागर हिलोरें लेता रहा।
महोत्सव के अन्तर्गत मंगलवार को निर्माही अखाड़ा उज्जैन के धर्माचार्य भागवताचार्य पं. नारायण शास्त्री के आचार्यत्व में यजमान परिवारों ने अपने दिवंगत परिजनों के मोक्ष के लिए विधि-विधान से तर्पण कार्यक्रम के उपरान्त हवन एवं आरती विधान किए।
श्रीमद् जगद्गुरु टीलाद्वारागाद्याचार्य का पूजन उत्सव
इसके बाद सभी ने गुरुपूजा उत्सव में भाग लिया और लालीवाव मठ में विराजमान श्रीमद्् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य श्रीश्री 1008 श्री माधवाचार्य जी महाराज का पूजन किया। मंगलाचरण, गुरुपूजन मंत्रों, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त एवं स्वस्तिवाचन मंत्रों तथा वैदिक ऋचाओं का गान करते हुए श्रृद्धालुओं ने पुष्पहार पहनाए, पादुका पूजन किया और आशीर्वाद पाया।
इस अवसर पर देश के विभिन्न अखाड़ों, मठों, आश्रमों और धामों के महामण्डलेश्वरों, श्रीमहंतों आदि के चरण स्पर्श कर उनका भी आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी संतों ने आशीर्वाद मंत्रों से इनके जीवन में सुख-समृद्धि और भगवत्प्राप्ति में सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद दिया।
महायज्ञ में आहुतियों का क्रम जारी रहा
महोत्सव के अन्तर्गत यज्ञाचार्य पं. निकुंजमोहन पण्ड्या के आचार्यत्व में हो रहे श्रीविद्या महायज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में वैदिक मंगलाचरण ऋचाओं से स्थापित देवी-देवताओं का पूजन-अर्चन किया और श्रीविद्या मंत्रों, श्रीसूक्त आदि के साथ यज्ञ में आहुतियां दीं। इसके साथ ही आवरण पूजा एवं चक्रार्चन के साथ श्रीयंत्रों की प्रतिष्ठा विधि का क्रम किया गया।
भागवत पारायण में पोथी एवं पितर पूजन
महोत्सव के अन्तर्गत देश के विभिन्न तीर्थों से आए 108 विद्वान पण्डितों द्वारा श्रीमद्भागवत मूल पारायण में भागवत मंत्रों की गूंज रही। यजमानों ने अपने-अपने पितरों का स्मरण करते हुए उनकी तस्वीरों की पूजा की, पुष्पहार चढ़ाया और भागवत पोथियों का पूजन किया। इन यजमानों ने भागवत पण्डितों की पूजा की और शॉल ओढ़ायी, उपहार भेंट किए और दान-दक्षिणा दी।
परिक्रमा के लिए श्रृद्धालुओं का ज्वार उमड़ा
महोत्सव में श्रीविद्या एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ स्थल तथा भागवत पारायण मण्डप के दर्शन के लिए दिन भर श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहा। इन श्रृद्धालुओं ने विषम संख्या में परिक्रमा की और दिव्य आनन्द का अनुभव किया। भक्त नर-नारियों ने देश के विभिन्न तीर्थ धामों, मठों एवं आश्रमों से आए संत-महात्माओं, महामण्डलेश्वरों, श्रीमहंतों आदि के दर्शन एवं चरणस्पर्श किए और आशीर्वाद पाया।