बाँसवाड़ा | विश्वविख्यात संत श्रीमद् जगद्गुरु द्वाराचार्य अग्रमलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य जी महाराज ने भगवत शरणागति को समस्त दुःखों से निवृत्ति का मूलाधार बताते हुए भक्तों का आह्वान किया कि वे शुचिता के साथ साधु-संतों और वैदिक मार्ग का आश्रय लेते हुए साधन-भजन में रमें और अपने आपको भगवान की शरण में समर्पित कर दें।
अग्रमलूकपीठाधीश्वर संत स्वामी देवाचार्य जी महाराज ने बांसवाड़ा के सदियों पुराने सिद्ध तपोधाम लालीवाव मठ में आयोजित आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के छठे दिन सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कराते हुए यह उपदेश दिया।
हजारों श्रृद्धालु नर-नारियों को कथा अमृत रसास्वादन कराते हुए उन्होंने कहा कि भगवत् शरणागति से संचित, क्रियमाण और प्रारब्ध सभी शून्य हो जाते हैं। इसके बाद जीवात्मा सभी प्रकार के अभिशाप, विषाद और अवसाद से मुक्त एवं पवित्र होकर जो कुछ प्राप्त होता है, उसे भगवान की कृपा मानकर स्वीकार करता है।
परमात्मा से संबंध जोड़ें
पीठाधीश्वर ने कहा कि भक्ति का अधिकार सभी प्राणियों को है। हम सदैव भगवान के रहे हैं, हैं, और रहने वाले हैं। अनित्य संसार और शरीर की बजाय अपना संबंध नित्य परमात्मा से जोड़ें, इसी से कल्याण हो जाएगा। संतों की संगति और सत्संग भगवान की करुणा से प्राप्त होती है। इनका आश्रय ग्रहण कर जीवन्मुक्ति की ओर कदम बढ़ाएं।
अव्यावहारिक कर प्रणाली से विषमताएं व्याप्त
सम सामयिक विषमताओं पर अपने उद्गार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान कर प्रणाली अव्यवहारिक और जटिल है तथा इसी कारण से शरीफ भी कर चोरी में प्रवृत्त होने लगे हैं। प्राचीन कालीन कर प्रणाली को उपयुक्त बताते हुए उन्होंने कहा कि उन दिनों ढेर सारे अलग-अलग कर नहीं होते थे बल्कि वार्षिक आय का छठा अंश राजा को कर के रूप में दिए जाने की परम्परा थी। इससे प्रजा भी संतुष्ट थी और राज्य का विकास भी अच्छी तरह होता था।
स्वागत-सत्कार, अभिनन्दन
आरंभ में लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज, संत श्री रघुवीरदास महाराज, महोत्सव संयोजक पं. भुवनमुकुन्द पण्ड्या, पोथी एवं भागवत यजमान तथा सहयोगियों श्रीमती कमला प्रभुलाल, सतीश रमणलाल पंचाल, गोवर्धन कारूलाल, पमा भाई, पं. लक्ष्मीनारायण शुक्ल एवं बालकृष्ण त्रिवेदी ‘बालु भाई’ (तलवाड़ा), महोत्सव कार्यालय प्रभारी मनोहर एच. जोशी एवं रामशंकर जोशी ने व्यास पीठ का पूजन करते हुए महाराजश्री का स्वागत किया।
भागवतजी के कथा शुभारंभ एवं विराम अवसर पर वैदिक ऋचाओं एवं मंगलाचरण से पूजन एवं आरती विधान देवेश त्रिवेदी एवं श्रीमती डिम्पल त्रिवेदी ने किया। मंच संचालन संत श्री रघुवीरदास महाराज ने किया।
बांसवाड़ा के लिए सौभाग्य है यह अमृतवर्षा
इस दौरान् जगन्नाथपुरी मन्दिर(अहमदाबाद) के पीठाधीश्वर श्रीमहंत दिलीपदासजी महाराज, हरि मन्दिर पाटोदी के आचार्य धर्मदेवजी महाराज, एवं जगन्नापुरी मन्दिर के मैनेजिंग ट्रस्टी महेन्द्रभाई झा ने अपने उदबोधन में देवाचार्यजी महाराज के श्रीमुख से कथा श्रवण को बांसवाड़ावासियों के लिए सौभाग्य बताया और कहा कि इसका पूरा-पूरा लाभ लेते हुए जीवन को सुधारें और भगवत्प्राप्ति का मार्ग अपनाएं।
देश के प्रसिद्ध संत-महंतों एवं पीठाधीश्वरों ने किया व्यास पीठ का पूजन,
महाराजश्री का अभिनन्दन
सोमवार को हुई कथा का श्रवण करने देश के प्रसिद्ध संतों एवं महामण्डलेश्वरों ने भी हिस्सा लिया और व्यास पीठ एवं अग्रमलूकपीठाधीश्वर को पुष्पहार पहनाकर अभिन्दन किया।
इनमें परमहंस अखाड़ा इन्दौर खालसा के श्रीमहंत एवं हंसदास मठ के हंसपीठाधीश्वर श्रीमहंत रामचरणदास जी महाराज, महंतश्री पवनदासजी महाराज, निर्मोही अखाड़ा के श्रीमहंत एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेन्द्रदास महाराज, श्रीमहंत रघुवीरदासजी महाराज ‘योगीराज’, श्रीमहंत मनमोहनदास महाराज ‘राधे-राधे बाबा’, संत मावजी महाराज की परम्परा के महंत बेणेश्वर पीठाधीश्वर अच्युतानन्दजी महाराज, गुरु आश्रम छींछ के महंत श्री घनश्यामदास महाराज, भारतमाता मन्दिर के महंत रामस्वरूप महाराज सहित काफी संख्या में संत-महंतों, पीठाधीश्वरों, महामण्डलेश्वरों एवं साधु-संतों ने व्यास पीठ का पूजन किया और महाराजश्री का पुष्पहारों तथा शॉल से अभिनन्दन किया।