बांसवाड़ा | ऐतिहासिक लालीवाव मठ में इन दिनों श्रृद्धालुओं का लघु कुंभ जुटा हुआ है और पूरे परिक्षेत्र में धर्म-अध्यात्म अनुष्ठानों के दिग्दर्शन के साथ ही साधु-संतों का विशाल समागम है।
इनमें देश के विभिन्न हिस्सों से मठों, अखाड़ों और आश्रमों के मठाधीश, श्रीमहंत और महामण्डलेश्वरों के साथ ही विभिन्न सम्प्रदायों के संत-महात्मा और साधु-संतों के संगठनों के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी शामिल हैं।
मठ के विस्तृत परिसर में सजे हुए विभिन्न पाण्डालों में चले रहे श्रीविद्या महायज्ञ, श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ, 108 श्रीमद्भागवत के मूल पारायण और अन्य विशिष्ट अनुष्ठानों में पूजन-अर्चन विधियों के दर्शन, वैदिक ऋचाओं एवं पौराणिक मंत्रों तथा स्तोत्रों आदि के श्रवण, भगवान श्री पद्मनाभ, हनुमान, जितेन्द्रिय नागेश्वर देवालयों में श्रीविग्रहों के दर्शन के लिए भक्तजनों का तांता बंधा हुआ रहने लगा है।
बड़ी संख्या में श्रृद्धालु लालीवाव मठ के पूर्व पीठाधीश्वरों की मूर्तियों के दर्शन एवं समाधि पर श्रृद्धा से मत्था टेकने के बाद मेला स्थल पर लगी दुकानों एवं अन्य स्टॉल्स का अवलोकन एवं खरीदारी में रमने लगे हैं।
*श्रीयंत्रों की प्रतिष्ठा और श्रीविद्यार्चन क्रम जारी*
आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के छठे दिन सोमवार को यज्ञ मण्डप में यज्ञाचार्य पं. निकुंज मोहन पण्ड्या के आचार्यत्व एवं ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या के निर्देशन में श्रीविद्या एवं विष्णुलक्ष्मी से संबंधित विभिन्न अनुष्ठान, मंत्र जाप, तर्पण, मार्जन तथा यज्ञार्चन हुआ।
यज्ञ मण्डप में स्थापित दिव्य शिवलिंग का षोड़शोपचार से पूजन-अर्चन के बाद पण्डितों के समूहों द्वारा रूद्राभिषेक किया गया। इसी प्रकार शतचण्डी अनुष्ठान के अन्तर्गत देवी उपासकों ने दुर्गासप्तशती के सामूहिक पाठ किए।
मुख्य रूप से बड़ी संख्या में श्रीयंत्रों की प्रतिष्ठा और पूजन-अर्चन तथा कुंकुमार्चन से सिद्ध किए जाने के अनुष्ठानों के अन्तर्गत आवरण पूजा, चक्र पूजा, खड्गमाला, त्रिशती, ललिता सहस्रनाम, श्रीविद्यामंत्र एवं दारिद्रय निवारक दुर्गा मंत्र से सम्पुटित श्रीसूक्त, सौभाग्य अष्टोत्तरशतनाम, ललिता मंत्रों आदि से अर्चन, तर्पण, स्वाहाकार विधान किए गए। इनके मंत्रों से हवन में विभिन्न दैवीय एवं दिव्य द्रव्यों की आहुतियां दी गई।
*सर्वपितृ मोक्ष विधानों में श्रृद्धा और उत्तरदायित्व का उत्साह*
परिवार के दिवंगतों के साथ ही क्षेत्र भर में कोरोना, अकाल मृत्यु और अन्य दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु प्राप्त लोगों की गति-मुक्ति की कामना से इनके परिवारों द्वारा किया जा रहा अनुष्ठान कृतज्ञता के साथ उत्तरदायित्व के निर्वाह का उत्सव बना हुआ है।
इसमें बहुत सारे परिवारों और रिश्तेदारों की सहभागिता ने पारिवारिक और सामाजिक रस्म का रूप ले लिया है। पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण, हवन आदि करने वाले यजमानों के साथ ही उनके सगे-संबंधियों का द्वारा भी हवन, आरती एवं पितर प्रसन्नता पूजा-पाठ में हिस्सा लिया जा रहा है।
निर्मोही अखाड़ा उज्जैन के धर्माचार्य पं. नारायण शास्त्री के आचार्यत्व में चल रहे सात दिवसीय सर्वपितृ मोक्ष विधान के पांचवे दिन सोमवार को देव, मनुष्य, पितर सहित सभी दिवंगत आत्माओं, ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों के नाम तिल, दुग्ध, जल, दर्भ आदि के सहयोग से तर्पण किया गया।
इसके बाद तिल, घृत आदि से हवन में आहुति दी गई और सामूहिक आरतियां उतारी। सभी तर्पणकर्ताओं को विधान आचार्य पं. नारायण शास्त्री एवं सहयोगी पण्डितों ने आशीर्वाद दिया।
*108 भागवतजी की परिक्रमा कर पुण्यलाभ*
श्रीमद् भागवत के 108 मूल पारायण में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वान पण्डितों के मुख से माधुर्य एवं समवेत स्वरों में उच्चारित भागवत के मंत्रों की गूंज ने समूचे परिक्षेत्र को भागवतमय कर दिया है।
भागवतजी के इस विशाल अनुष्ठान का पुण्य पाने श्रृद्धालु उमड़ रहे हैं। ये भक्तगण भागवत पारायण सुनने के साथ ही सम्पूर्ण 108 भागवतजी की विषम संख्या में परिक्रमाएं करते हुए भगवान श्री नारायण का कीर्तन एवं मंत्र जाप कर पुण्यार्जन में जुटे हुए हैं।
सोमवार को भक्त नर-नारियों के समूहों ने परिक्रमा की और 108 पण्डितों को यज्ञोपवीत, सुपारी एवं दक्षिणा भेंट कर आशीर्वाद पाया।
*संत दर्शन का अनूठा अवसर*
लालीवाव मठ में चल रहे महोत्सव में देश के प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध संत-महात्माओं के एक साथ एक ही जगह दर्शनों का अनूठा संयोग बन पड़ा है। इसमें श्रीमद्् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य श्रीश्री 1008 श्री माधवाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु श्री अयोध्याचार्यजी महाराज सहित देश में धर्म-अध्यात्म जगत की प्रसिद्ध हस्तियां, श्रीमहंत, महामण्डलेश्वर, मठाधीश, सम्प्रदाय आचार्यगण आदि के दर्शनों और आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों में जबर्दस्त उत्साह है।