बांसवाड़ा | सदियों से धर्म-अध्यात्म की अलख जगा रहे लालीवाव मठ में चल रहे आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को समूचे परिक्षेत्र में मेले जैसा माहौल परवान पर चढ़ने लगा है।
बांसवाड़ा शहर और गांवों, कस्बों से बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं की आवाजाही बढ़ने के साथ ही आस-पास के राज्यों से भी भक्तगण लालीवाव आकर दर्शन एवं अनुष्ठानों तथा सेवा कार्यों में हाथ बंटाने में जुटे हुए हैं।
महोत्सव स्थल पर देश के विभिन्न अखाड़ों, मठों आदि से आए हुए संत-महात्माओं के डेरे और उनके द्वारा की जा रही पूजा विधि तथा रहन-सहन के अनूठे अंदाज हर किसी को आकर्षित कर रहे हैं।
लालीवाव मठ में आठ सौ वर्षों से सिद्धों और तपस्वियों के आस्था केन्द्र हनुमानजी और चार शताब्दियों से पूजित प्राचीन पद्मनाभ नृसिंह भगवान तथा अन्य देवी-देवताओं के श्रीविग्रहों का मनोहारी श्रृंगार एवं विशेष पूजन किया गया तथा मठ के पूर्ववर्ती महन्तों की मूर्तियों और समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
महोत्सवी अनुष्ठानों एवं यज्ञ के आचार्य ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या एवं पं. निकुंज मोहन पण्ड्या के आचार्यत्व में विभिन्न अनुष्ठानों का क्रम विगत बुधवार से निरन्तर बना हुआ है।
श्रीविद्या मंत्रों से महायज्ञ में आहुतियां दी गई
महोत्सव के अन्तर्गत श्रीविद्या एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के अन्तर्गत श्रीविद्या मंत्रों एवं सम्पुटित श्रीसूक्त का हवन घृत एवं अन्य दिव्य सामग्री से किया गया। पण्डितों एवं यजमानों ने ललिता सहस्रनामावली, श्री विद्या मंत्रों से यज्ञ, श्रीयंत्रों का कुंकुमार्चन, शतचण्डी, रूद्रार्चन, दीपदान सहित अनेक अनुष्ठान किए।
मठ परिसर में परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज सहित देश के विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों से आए धर्माचार्यों, महामण्डलेश्वरों, श्रीमहंतों और साधु-संतों एवं मठाधीशों के दर्शन एवं आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा है।
महोत्सव के यज्ञ मण्डप एवं भागवत पारायण मण्डप के दर्शन एवं परिक्रमा के लिए धर्मावलम्बियों का शाम तक तांता लगा रहा।
महोत्सव स्थल पर पूजा-पाठ एवं अनुष्ठान तथा धार्मिक उपयोग की सामग्री की दुकानें लगी हुई हैं। इनमें हरिद्वार एवं अन्य स्थानों से आए व्यवसायियों की दुकानों के साथ ही मलूक पीठ एवं इस्कॉन की बांसवाड़ा शाखा द्वारा भी विभिन्न प्रकार की मालाओं, पूजन सामग्री, धार्मिक सामग्री आदि की स्टॉल्स लगाई गई हैं।