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बांसवाड़ा में विराट धार्मिक महोत्सव 20 से 27 नवम्बर तक,

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14 Nov 24
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बांसवाड़ा में विराट धार्मिक महोत्सव 20 से 27 नवम्बर तक,

बांसवाड़ा, बांसवाड़ा में आगामी 20 से 27 नवम्बर तक प्राचीन एवं ऐतिहासिक लालीवाव मठ की ओर से आठ दिवसीय आयोजित विराट धार्मिक महोत्सव को लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं।

इस महोत्सव के अन्तर्गत श्रीमहाविद्या एवं 108 कुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं अष्टोत्तरशत भागवत पारायण के साथ ही अग्रमलूक पीठाधीश्वर एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज के श्रीमुख से भागवत कथा श्रवण का लाभ प्राप्त होगा। ये सभी कार्यक्रम लालीवाव मठ के विस्तृत परिक्षेत्र में होंगे। इसे लेकर सभी प्रकार की तैयारियां व्यापक स्तर पर की जा रही हैं और विभिन्न पाण्डालों को आकार दिया जा रहा है।

सात दिन तक 108 विद्वान करेंगे श्रीमद्भागवत के 108 सम्पूर्ण मूल पारायण

19 लाख 44 हजार मंत्र श्लोकों का होगा सुमधुर उच्चारण

लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदास महाराज ने बताया कि बांसवाड़ा के इतिहास में पहली बार आयोजित हो रहे इस अपूर्व एवं ऐतिहासिक विराट धार्मिक महोत्सव में वृन्दावन एवं देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले विद्वानों द्वारा भागवत के 108 मूल पारायण किए जाएंगे।

इसके अन्तर्गत सप्ताह भर तक भागवत के 18-18 हजार मंत्र श्लोकों का 108 बार दैववाणी संस्कृत में सुमधुर स्वरों में विद्वानों द्वारा मूल पाठ किए जाएंगे। इस हिसाब से 108 भागवत पाठों के कुल मिलाकर 19 लाख 44 हजार मंत्र श्लोकों की आवृत्ति का क्रम सात दिन तक पूर्ण होगा।

108 यज्ञ कुण्डों में होगा हवन

इसके उपरान्त भागवत के दशम स्कंन्ध के मंत्रों से 108 हवनकुण्डों में यज्ञार्चन का विशाल अनुष्ठान देखने को मिलेगा। भागवत मूल पारायण के लिए भागवत पोथी लेने को लेकर श्रृद्धालुओं में व्यापक उत्साह देखा जा रहा है।

पितरों की मुक्ति के लिए सहस्राब्दी का पहला सामूहिक अनुष्ठान

सर्व पितृ मोक्ष के उद्देश्य से हो रहे इस विराट धार्मिक महोत्सव के अन्तर्गत पितरों की गति-मुक्ति एवं आत्मा के उद्धार के लिए सातों दिन भागवत पूजा के साथ ही विशिष्ट एवं अद्वितीय अनुष्ठानों का क्रम जारी रहेगा। इनमें रोजाना विभिन्न उपचारों द्वारा विधि-विधान से तर्पण, स्वधा अनुष्ठान, विष्णु सहस्रनाम, सवा करोड़ द्वादशाक्षर मंत्र जप, नारायण कवच, पुरुष सूक्त आदि धर्मानुष्ठान किए जाएंगे। 108 श्रीमद्भागवत पोथी पूजन एवं पितृ तर्पण के अनुष्ठान 21 से 27 नवम्बर तक प्रतिदिन प्रातः 7 बजे से आरंभ होंगे।

श्रीविद्या महायज्ञ में श्रीयंत्रार्चन महानुष्ठान

महोत्सव में श्रीविद्या की परम्परागत पद्धति से श्रीयंत्रों की प्रतिष्ठा एवं पूजनादि तथा यज्ञादि विधान होंगे। इन अभिमंत्रित श्रीयंत्रों का वितरण किया जाएगा।

नौ कुण्डीय श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ

महोत्सव में नौ कुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ होगा। इसके अन्तर्गत श्री विष्णु एवं श्री लक्ष्मीजी की विशेष पूजा-अर्चना तथा इनसे संबंधित अनुष्ठान और इनके हवन होंगे। श्रीमहाविद्या यज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ के कार्यक्रम सातों दिन रोजाना सवेरे 7 बजे स्थापित देवताओं के पूजन-अर्चन से आरंभ होंगे।

भागवत कथा 21 से 27 नवम्बर तक दोपहर 1 से 5 बजे तक

महोत्सव के अन्तर्गत भागवत कथा 21 से 27 नवम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। इसमें श्रीमद् जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज की ओजस्वी अमृतवाणी में भागवत कथा का रसास्वादन होगा। संत श्री राजेन्द्रदास देवाचार्य जी महाराज की भागवत कथा श्रवण का लाभ मिलना बांसवाड़ावासियों के लिए गौरव और पुण्योदय का विषय है।

भव्य शोभायात्रा 20 नवम्बर को

महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर पहले दिन 20 नवम्बर को दोपहर 2 बजे कुशलबाग परिक्षेत्र स्थित सिद्धनाथ महादेव मन्दिर प्रांगण से विशाल एवं भव्य शोभायात्रा निकलेगी, जो शहर के मुख्य मार्गों से होकर लालीवाव मठ पहुंचकर सम्पन्न होगी। इसमें साधु-संतों, अखाड़ों, भजन मण्डलियों, कलश यात्रा, झांकियों आदि का समावेश होगा तथा हजारों की संख्या में श्रृद्धालु हिस्सा लेंगे।

लालीवाव मठ के पूर्व श्रीमहंत नारायणदास महाराज की पावन स्मृति में आयोजित यह विराट धार्मिक महोत्सव परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज के पावन सान्निध्य में किया जा रहा है। इसके लिए भागवत कथा महायज्ञ सेवा समिति एवं लालीवाव मठ शिष्य परिवार पिछले 5 माह से लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं।

आयोजन समिति के प्रमुख पदाधिकारियों की लालीवाव मठ में प्रतिदिन समीक्षा बैठक के साथ ही विभिन्न गांवों और शहरों में महोत्सव को लेकर निमंत्रण यात्रा अभियान तथा विभिन्न समाजों, संगठनों एवं संस्थाओं से सम्पर्क एवं संवाद के कार्यक्रम भी अभियान के तौर पर चरम पर हैं।

 


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