बांसवाड़ा / जाने-माने साहित्यकार श्री भरतचन्द्र शर्मा को हिन्दी साहित्य अकादमी गुजरात की ओर से अहमदाबाद में आयोजित वार्षिक सम्मान समारोह में श्रेष्ठ कहानीकार सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया । अहमदाबाद के आश्रम रोड स्थित एच.के. कॉलेज ऑडिटोरियम में रविवार रात हिन्दी साहित्य अकादमी गुजरात की ओर से आयोजित भव्य एवं गरिमामय समारोह में उनकी कृति ‘‘ कामाख्या एवं अन्य कहानियाँ’’ को श्रेष्ठ कहानी कृति सम्मान एवं पुरस्कार प्रदान किया गया।
समारोह में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री श्री विष्णु पण्ड्या, हिन्दी साहित्य भारती के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रविन्द्र शुक्ल, गुजरात साहित्य अकादमी के महामंत्री डॉ. जयेन्द्र सिंह जाधव आदि अतिथियों ने कहानीकार श्री भरतचन्द्र शर्मा को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं 11 हजार रुपए पुरस्कार राशि प्रदान कर सम्मानित किया और कहानी विधा के श्रेष्ठ में उनके उच्चतम श्रेणी के एवं प्रभावी सृजन की सराहना की।
समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री श्री विष्णु पंड्या ने साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर विस्तार से व्याख्यान देते हुए कहा कि शब्द के माध्यम से चेतना की जागृति ही साहित्यकारों का मूल अभीष्ट रहा है।
विशिष्ट अतिथि हिन्दी साहित्य भारती के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रविन्द्र शुक्ल ने स्वंतत्रता की चेतना में साहित्य की भूमिका पर विचार प्रकट किये और कहा कि संघर्ष एवं अनुभूति की तीव्रता से साहित्यकार अपने भीतर पात्रता विकसित करता है जो यही उसकी सशक्त रचनाओं का मूलाधार होता है।
इस अवसर पर सम्मानित कहानीकार श्री भरतचन्द्र शर्मा ने कहानी विधा पर अपने विचारों को यों शब्द चित्र दिए - परिवेश का सशक्त चित्रण विधा के प्रति मेरी प्राथमिकता है, समाज एवं परिवार के विविध रंग कहानी का सौष्ठव होते हैं, रूढ मान्यताओं के प्रति सावेचत करने की संवेदनशीलता रचना की शक्ति होती हैं। सशक्त कहानी यथार्थ एवं कल्पना की समानान्तर रेल पटरियों पर पाठक को अंत तक बांधे रखने की क्षमता रखती है। इसमें साहित्य की विभिन्न विधाओं में पुरस्कृत साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
समारोह के दूसरे चरण में विश्व कविता दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें काजल ओझा, विनोद जोशी, रमेश चौहाण, तुषार शुक्ल आदि अनेक नामवर कवियों के साथ ही श्री भरतचन्द्र शर्मा ने भी काव्य पाठ किया। समारोह का सफल संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार तेजस मजूमदार ने किया।
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