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श्री पीताम्बरा आश्रम में धर्म चेतना कार्यक्रम, संतों ने किया आह्वान

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29 Nov 24
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श्री पीताम्बरा आश्रम में धर्म चेतना कार्यक्रम,  संतों ने किया आह्वान

बाँसवाड़ा, श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्टी निर्मोही अखाड़ा एवं अखिल भारतीय निर्मोही अनी अखाड़ा अयोध्या के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं क्रांतिकारी संत स्वामी श्री राधे बाबा ने कहा है कि सनातन परम्पराओं और मूल्यों का संरक्षण तथा अनुपालन ही राष्ट्रीय अस्मिता को सुरक्षित स्वरूप प्रदान कर सकता है। सनातन के नाम पर बातें करते रहने और जरूरत के वक्त तटस्थता ओढ़े रखने से कुछ हासिल नहीं होने वाला।

संत श्री राधे बाबा ने गायत्री मण्डल बांसवाड़ा द्वारा संचालित श्री पीताम्बरा आश्रम में धर्म चेतना कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में यह बात कही।

गायत्री मण्डल की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या, सह सचिव सुभाष भट्ट, बालकृष्ण त्रिवेदी(बालु भाई), नगेन्द्र दोसी (चावलवाला), पीताम्बरा परिषद के सह संयोजक पं. मधुसूदन व्यास, ललित कुमार आचार्य आदि ने श्री राधे बाबा एवं संत श्री काका महाराज को उपरणा पहनाकर अभिनन्दन किया।

लक्ष्य संधान पर हो सभी का फोकस

अपने ओजस्वी एवं प्रेरक प्रवचन में श्री राधे बाबा ने कहा कि सनातन प्रवाह को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सनातन से जुड़े सभी लोगों को अपनी वैयक्तिक ऐषणाओं और पद एवं वैभव लोलुप मनोवृत्तियों का त्याग कर एकमेव धर्म रक्षा और राष्ट्र सुरक्षा के मूल मंत्र को आत्मसात कर काम करने आगे आना होगा। इसके लिए पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों को तिलांजलि देकर अपनी वाणी को व्यवहार तथा समस्त आचरणों में उतारना होगा।

उन्होंने कहा कि समाज को समृद्ध एवं संस्कारवान बनाने के लिए बातों और उपदेशों की बजाय आचरण शुद्धि तथा मन, कर्म एवं वचन तीनों से सम्पूर्ण शुचिता का होना जरूरी है।

देश की सोचें

उन्होंने कहा कि सनातन परम्पराओं का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता इस बात की है कि पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर्मयोग में जुटें और व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं को भूल कर एकसूत्री संकल्प को सामने रखकर अपनी अधिक से अधिक ऊर्जा, समय और श्रम तथा बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करें।

छद्म सेकुलरों से है देश को खतरा

श्री राधे बाबा ने कहा कि इस कार्य में मुखौटाधारी दोहरा-तिहरा चरित्र और कालनेमिया बहुरुपिया स्वभाव सबसे बड़ी बाधा है और इससे मुक्त हुए बगैर न समाज का भला हो सकता है, न धर्म-अध्यात्म का कल्याण, और न ही राष्ट्र रक्षा। समाज, धर्म और देश को सबसे बड़ा खतरा पब्लिसिटी के भूखे-प्यासों, पद-वैभव के लोभियों और लोकप्रियता की आतुरता पाले लोगों से है और इन्हीं के कारण सनातन पर कुठाराघात हो रहा है।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब हमें अपने-पराये की पहचान करते हुए जीवन व्यवहारों के निर्वाह और राष्ट्रोत्थान में जुटना होगा। जो हमारे धर्म का नहीं, जो राम का नहीं, वह हमारे किसी काम का नहीं, चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो।

अनूठी पहचान पाएगा आश्रम

श्री राधे बाबा ने गायत्री मण्डल की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि श्री पीताम्बरा आश्रम की दिव्य ऊर्जा और आभा हर किसी को प्रभावित करने में समर्थ है और यह स्थल धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में गौरवशाली धाम के रूप में पहचान बनाएगा।

इस अवसर पर संतश्री काका महाराज ने गौरक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया और कहा कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए गौ का आश्रय, पालन एवं सेवा अनिवार्य है।

गायत्री मण्डल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्राच्यविद्यामर्मज्ञ ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या ने मण्डल की गतिविधियों पर विस्तार से जानकारी देते हुए भावी योजनाओं के बारे में अवगत कराया।

इससे पूर्व संतों ने श्री पीताम्बरा आश्रम का अवलोकन किया और हनुमानजी एवं नर्मदेश्वर शिव मूर्तियों तथा पीताम्बरा मैया की छवि के दर्शन किए।


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