बांसवाड़ा, श्रीमद्जगद्गुरु अग्रमलूक पीठाधीश्वर द्वाराचार्य स्वामी श्री राजेन्द्रदासजी महाराज ने भारत को समृद्धिशाली बनाने के लिए गौसंरक्षण एवं संवर्धन पर जोर दिया और कहा कि देश में गौ आधारित लोक जीवन एवं परिवेश होने पर स्वर्णिम भविष्य को प्राप्त किया जा सकता है। गौवध के कलंक से विमुक्त हुए बगैर भारत का भला नहीं हो सकता।
अग्रमलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने लालीवाव मठ में आयोजित विराट धार्मिक महोत्सव के सातवें दिन मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराते हुए गौ महिमा का वर्णन करते हुए यह बात कही। मंच का संचालन श्री राधे राधे बाबा, संत श्री रघुवीरदास महाराज एवं पं. भुवनमुकुन्द पण्ड्या ने किया।
उन्होंने गौ के परम्परागत एवं प्राचीन गौरव की व्याख्या की और देश में गौवध पर अब तक पाबन्दी नहीं लग पाने पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश के लिए कलंक तथा हमारे लिए लज्जा की बात है। गाय की रक्षा, पालन एवं सेवा सर्वोपरि आवश्यकता है। गाय के अतीत को वापस लौटाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि कानून बना देने मात्र से गौ संरक्षण एवं संवर्धन नहीं होने वाला बल्कि गौ आधारित शिक्षा, चिकित्सा एवं कृषि का होना जरूरी है। इसके लिए शिक्षा में गौ को शामिल करते हुए प्राथमिक से लेकर कॉलेज एवं उच्च स्तर तक पाठ्यक्रमों में गाय को शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही गौशाला मैनेजमेंट कोर्स शुरू किया जाए। गाय आरोग्यता का मूल है, इसलिए गौ चिकित्सा को सम्बल मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गौवंश पर चौतरफा घात किया जा रहा है। एक ओर गौवंश की क्रूर कसाइयों द्वारा नृशंस हत्या कर संहार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कृत्रिम गर्भाधान से जर्सीकरण कर नस्ल का संहार किया जा रहा है। इससे उत्तम प्रजाति की परम्परागत नस्लों का खात्मा होता जा रहा है।
महाराजश्री ने सनातनधर्मियों का आह्वान किया कि गौवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए जिम्मेदारी से आगे आएं और अपनी कमाई में से अंशदान निकाल कर गौसेवा के लिए समर्पित करें तो भारत की कोई भी गाय भूखी न रहे। अपने सामर्थ्य का गौसेवा में प्राथमिकता से उपयोग करें।
स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने दोहावली से कथा आरंभ करते हुए भागवत की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया और इनसे सीख लेते हुए जीवन को दिव्य एवं दैवीय बनाते हुए जगत के कल्याण में जुटने का आह्वान किया।
कथा में सप्तम कुबेराचार्य जगद्गुरु अविचल देवाचार्यजी महाराज एवं महामण्डलेश्वर रामप्रवेशदास महाराज ने भी उद्बोधन देते हुए भागवत कथा को परम पुण्य का फल बताया और इसे बांसवाड़ा के लिए सौभाग्यदायी निरूपित किया।
आरंभ में राधे राधे बाबा, लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज, स्वामी अनिलानंद महाराज, संत श्री रघुवीरदास महाराज, राज परिवार से जगमालसिंह, महोत्सव संयोजक भुवन मुकुन्द पण्ड्या, अशोक पाठक, लक्ष्मी अग्रवाल, विनोद जोशी आदि ने महाराजश्री का स्वागत किया।
मुख्य यजमान के रूप में महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त त्रिवेदी एवं श्रीमती अनुसूया त्रिवेदी ने पं. योगेन्द्र मिश्र के आयार्चत्व में वैदिक ऋचाओं की गूंज के बीच महाराजश्री के स्वागत के उपरान्त श्रीमद् भागवतजी का पूजन किया और आरती उतारी।
महोत्सव का समापन बुधवार को
महोत्सव संयोजक पं. भुवन मुकुन्द पण्ड्या ने बताया कि आठ दिवसीय धार्मिक महोत्सव के समापन दिवस पर बुधवार को भागवत कथा प्रातः 10 बजे आरंभ होगी। श्रीविद्या एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति अभिजित मुहूर्त में होगी। इसके बाद महाप्रसाद(भण्डारा) होगा।