गर्मी ही गर्मी, रस व फलों की बहार
उदयपुर। सामान्यतया गर्मी की तपिश 15 मई से प्रारंभ होकर 30 जून तक रहती है। पर असंख्य की तादाद में लगातार वृक्षों काटे जाने ऋृतु चक्र डगमगा गया है। झीलों नगरी उदयपुर में भी इससे अछूती नहीं है।
गर्मी की तपिश और हाठों की प्यास को शांत करने के लिए ठण्डें जल के अलावा 20 से ज्यादा स्थानों पर तरबूजों की ठडी लगी हुई है तथा 100 से अधिक ठेलों पर पृथक से या सम्मिलित रूप में खरबूज ओर तरककडी उपलब्ध हैं । ये दोनों खुदरा रूप में 10 से 15 रूपयें किलों में बिक रहे है।
गन्नें का रस पहले चरखी से निकाला जाता था आज इसका स्वरूप बदल चुका है । इसके लिए डिजल/पेट्रोल युक्त मशीनों से निकाला जाता हैं । दर तो पिछले साल की तरह हैं पर इस बार 10 की जगह कम मिठास वाला ठण्डा पानी ज्यादा सर्व किया जा रहा है।