GMCH STORIES

साध्वी कमलप्रज्ञा को मिली पीएच.डी. उपाधि  

( Read 1519 Times)

07 Nov 24
Share |
Print This Page

साध्वी कमलप्रज्ञा को मिली पीएच.डी. उपाधि  


उदयपुर 7 नवंबर। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं-राजस्थान) द्वारा साध्वी कमलप्रज्ञा को विद्यावाचस्पति (पी.एच.डी) की उपाधि प्रदान की गई है। साध्वी डॉ कमलप्रज्ञा ने अपना शोध विषय “मूल आगम ग्रंथों में प्रतिपादित जीवन विज्ञानः एक दृष्टि” विषय पर सह आचार्य (प्राकृत व संस्कृत विभाग) श्रमणी डॉ संगीतप्रज्ञा के निर्देशन में संपन्न किया। पी.एच.डी के इस कार्य में श्रमण डॉ पुष्पेंद्र का अथक योगदान रहा।
साध्वी डॉ कमलप्रज्ञा ने अपने शोध कार्य में चार मूल आगम-दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नंदीसूत्र व अनुयोगद्वार में समाहित सामाजिक व व्यवहारिक मानवीय पहलुओं को उजागर करते हुए जीवन विज्ञान द्वारा मानव की शारीरिक संरचना में सम्मिलित श्वास प्रेक्षा, चैतन्य व शरीर प्रेक्षाओं को आधुनिक विज्ञान से जोड़ते हुए उसको आधुनिक विज्ञान के साथ दर्शाया है, व्यवहार व आध्यात्मिक जगत दोनों की शुद्धि जीवन विज्ञान को आत्मसात् करने से ही संभव है।
जैन दिवाकर पूज्य श्री चैथमल म.सा. की सुशिष्या दक्षिण चन्द्रिका साध्वी डॉ संयमलता की सुशिष्या डॉ कमलप्रज्ञा ने वर्ष 2021 में राजस्थान विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त ‘अपभ्रंश साहित्य अकादमी - जयपुर, द्वारा अखिल भारतीय स्तरीय आयोजित प्राकृत परीक्षा में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर “स्वर्ण पदक” (गोल्ड मेडल) प्राप्त किया था।
उल्लेखनीय है कि 28 मई 1985  को मुंबई शहर में जन्मी डॉ कमलप्रज्ञा ने 22 वर्ष की अवस्था में 19 जनवरी 2008 को दुंदाडा (राजस्थान) में जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की है। अपने दीक्षा पर्याय के 16 वर्षों में 9 राज्यों में 20हजार किलोमीटर की पदयात्रा संपन्न की हैं। साध्वी डॉ कमलप्रज्ञा को डॉ. की उपाधि प्राप्त होने पर समूचे जैन समाज में हर्ष की लहर व्याप्त है।
ज्ञातव्य हो कि अपनी गुरुणी मैया साध्वी डॉ संयमलता के साथ शहर के सेक्टर चार स्थित महावीर भवन में चातुर्मास गतिमान है और 10 नवंबर को आयोजित गुरु जैन दिवाकर जन्मोत्सव समारोह में श्रावक श्राविकाओं की विशाल जनमेदनी में समाज के गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति में साध्वी कमल प्रज्ञा को पी.एचडी का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like