उदयपुर। जिला प्रशासन उदयपुर एंव रेाटरी कलब मेवाड़ के संयुक्त तत्वावधान में आज सुखाड़ि़या रंगमंच पर पं. विश्वेश्वर शर्मा गीत सम्मान 2024 के तहत विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें हास्य, व्यंग,पैरोडी,श्रंगार, वीर रस के मिश्रण ने इस कवि सम्मेलन में चार चंाद लगा दिये। कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से सभी का दिल जीत लिया।
कवि सम्मेलन की शुरूआत शिखा दीप्ति दीक्षित की सरस्वती वंदना शारदे वर दे ,राग में वीणा वादिनी... से हुई।
सुमित ओरछा ने सनातन संस्कृति,राम-हनुमान से जुड़ी कथाआंे पर अपनी रचनाये ंप्रस्तुत की तो हॉल तालियों से गूंज उठा। अपनी रचना उमंग आ गयी तो जय श्रीराम,कुछ छिन गया तो राम की ईच्छा.., किसी का अपमान नहीं करता,हड़काता नहीं हूँ, जगाता हूँ मैं भारत को,कभी भड़काता नहीं हूँ, हो भारत श्रेष्ठ दुनिया में यही आँखों में सपना है, जो इस भूमि में जन्मा है वो भाई है वो अपना है, ... पर हॉल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने उत्तरप्रदेश के परिप्रेक्ष्य में कहा कि धरती पर अवतार होते रहते है।
भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा से आये पैरोडीकार कैलाश मण्डेला ने पैराडी में अपनी रचना मैं जमानत के कागजात ले के आया हूं...,कुर्सी पर दाग छुडाउं कैसे, लागा कुर्सी पे दाग,कुर्सी पे दाग छुडाउ कैसे और बचाउं कैसे...सुनायी तो सभी हंस-हंस के लोटपोट हो गये।
डीग राजस्थान के कवि सुरेन्द्र सार्थक ने कविता पाठ करते हुए अपनी रचना खुले आकाश में अपनी कमाई छोड़ देते हैं,मठा से पेट भरते हैं मलाई छोड़ देते है,अगर तुम झूठ भी कह दो मवेशी खेत में तेरे, कड़कती ठंड में झट से रजाई छोड़ देते हैं...पर दर्शक हंसे बिना नहंी रह सकंे।
फरीदाबाद के कवि सरदार मनजीत सिंह ने रचना इक लैला के पाँच हैं मजनंू, रांझे की छत्तीस हीरें
डेटिंग करते बदल बदल के, आया नया ज़माना है,है जलती आग सीने में, नहीं डरता सिकंदर से
मगर हूँ बाप बेटी का, डरा रहता हूँ अन्दर से.....प्रस्तुत की।
कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच की रचना गुलोगुलशन से महकते जहान देखें हैं,हमने मुश्किल में सिकन्दर महान देखें हैं,भूलकर नाज ना करना उधारी किस्मत पे,हमनें बारिश में भी जलते मकान देखें है...पर तालियों की खूब दाद मिली।
वरिष्ठ कवि आगरा के रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी ने रचना इश्कन इश्कन हवा चली, गुल से लिपट गई तितली, हमनें तो पूरी कोशिश की, नहीं मिली तो नहीं मिली... पर दर्शकों तालियों से स्वागत किया।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन करते हुए उदयपुर के प्रसिद्ध कवि राव अजातशत्रु ने अपनी चुटिली टिप्पणियांे और रसभरी बातों से कवि सम्मेलन में प्राण डाल दिए। उन्होंने अपनी रचना पति की अर्थी को कन्धा क्षत्राणी ही दे सकती है,परमाणु विस्फोट यहाँ की धरती ही सह सकती है, गोरा बादल राजस्थान, शेरों का दल राजस्थान गीत को दर्शकों का पूरा साथ मिला।
श्रृगांर रस की कवियित्री शिखा दीप्ति दीक्षित समझकर सार जीवन का मैं गीता बनके निकलूंगी ,समर्पण कर स्वंय का मैं विनीता बनके निकलूंगी,मेरी आंखों के दंडकवन में तुम वनवास तो काटो, मुझे है राम की सौगंध सीता बनके निकलूंगी... पर दर्शकों ने तालियों की दाद दी। इस अवसर पर कवि कैलाशी पुनीत ने भी अपनी रचानायें प्रस्तुत की। प्रारम्भ में पं. विश्वेश्वर शर्मा द्वारा रचित गीतों सहित अपने जीवनी का प्रजेन्टेशन दिया गया।
प्रारम्भ में मुख्य अतिथि पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराजसिंह मेवाड़़,समारोह अध्यक्ष जिला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल, सहित सभी कवियों का पगड़ी एवं स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में क्लब संरक्षक हसंराज चौधरी, रोटरी क्लब वसुधा की अध्यक्ष श्रीमती शरद राठौड़,क्लब अध्यक्ष डॉ.स्नेहदीप भाणावत, सचिव सुनीत ओरड़िया,योगेश पगारिया,रोटरी के पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी,संदीप सिंघटवाड़िया, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ.आर.एल.सुमन,सहित अनेक क्लब सदस्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अनिल मेहता ने किया।