संगम विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा ने परिणाम-आधारित शिक्षा (ओबीई) पर एक सप्ताह का संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह कार्यक्रम भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के शैक्षणिक प्रशासनिक विकास केंद्र द्वारा आयोजित किया गया था। प्रोफेसर प्रीति मेहता, नोडल अधिकारी एआईयू-एसयू-एएडीसी, ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को उनके पाठ्यक्रमों में ओबीई के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना और ओबीई के अनुरूप पाठ्यक्रम डिजाइन एवं मूल्यांकन विधियों पर संकाय को प्रशिक्षित करना था।
इस एफडीपी में ओडिशा, गोवा, पुणे, सिलीगुड़ी, इंदौर, इंफाल, और राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा सहित विभिन्न क्षेत्रों से 56 शिक्षाविदों की उत्साही भागीदारी रही। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में 5 दिनों तक चला, जिसमें ओबीई ढांचे, कार्यान्वयन रणनीतियों और मान्यता एवं गुणवत्ता सुधार में इसकी भूमिका पर विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित संसाधन व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें प्रोफेसर करुणेश सक्सेना (कुलपति, संगम विश्वविद्यालय), प्रोफेसर रघुवीर सिंह (कुलपति, केआर मंगलम विश्वविद्यालय), प्रोफेसर ज्ञानेंद्र नाथ तिवारी (नागालैंड विश्वविद्यालय, कोहिमा के शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रमुख), डॉ. समीर बाबू एम (जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), प्रो. आशीष के. अवधिया (सहायक निदेशक, प्रशिक्षण एवं विकास, IGNOU), डॉ. केपी मोहनन (को-फाउंडर, थिंक्यू) और प्रोफेसर दीपक जारोलिया (निदेशक, IQAC, पीआईएमआर इंदौर) शामिल थे।
कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना ने ओबीई-आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के महत्व पर जोर दिया, यह बताते हुए कि इस अग्रणी कार्यक्रम का उद्देश्य ओबीई को अपनाकर उच्च शिक्षा में क्रांति लाना है, जो एक छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है और सार्थक सीखने के परिणामों को बढ़ावा देता है। सम्मानित अतिथि सुश्री रंजना परिहार, संयुक्त सचिव एआईयू एएडीसी ने एएडी केंद्र की स्थापना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में प्रो. जी डी शर्मा (कुलपति, यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी, मेघालय एवं एयू के पूर्व अध्यक्ष) ने परिणाम-आधारित शिक्षा पर एफडीपी के सफल संचालन के लिए संगम विश्वविद्यालय को बधाई दी और कहा कि परिणाम-आधारित शिक्षा (ओबीई) ही नई शिक्षा नीति का आधार स्तंभ है।
प्रोफेसर मानस रंजन पाणिग्रही ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने अच्छे ढंग से आयोजित सत्रों और विषयों की प्रासंगिकता की सराहना की। डॉ. नीलेश माहेश्वरी, डॉ. आकांशा मारू, डॉ. दीपिका सोनी, डॉ. रामेश्वर रायकर, और एमएस रिया ने एफडीपी के विभिन्न सत्रों में मॉडरेटर की भूमिका निभाई, जबकि डॉ. सीमा काबरा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।