पेसिफिक विश्वविद्यालय ने श्री रामसिंह राठौड़ को ‘‘मेवाड़ प्रशासन में जागीरदारों एवं प्रमुख ऐतिहासिक घरानों की भूमिका’’ (18वीं-20वीं शताब्दी) विषयक में पीएचडी की उपाधि प्रदान की। यह शोध कार्य विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर अजातशत्रु सिंह राणावत के मार्गदर्शन में किया गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिलबाग सिंह के साक्षात्कार के पश्चात यह पीएचडी उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने शोध कार्य के संदर्भ में लिखा कि श्री राठौड़ ने मेवाड़ राज्य से संबंधित राष्ट्रीय और राज्य अभिलेखागारों के अतिरिक्त निजी संग्रहालयों से प्राप्त पट्टों, परवानों, ताम्र पत्रों, शिलालेखों का सर्वेक्षण कर महत्वपूर्ण प्रमाण प्रस्तुत किए।
इस शोध प्रबंध में पहली बार गैर-राजपूत जागीरदारों के रूप में ब्राह्मण, पाणेरी, नागदा, पालीवाल, बड़वा, पुरोहित, जैन घराने जैसे बोलिया, मेहता, कावड़िया, कोठारी, गलुंडिया की भूमिका का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही मेवाड़ राजवंश के शिवरती घराने और भोमट के भील जनजाति क्षेत्र में पानरवा के सोलंकी ठिकाने की भी भूमिका की जानकारी दी गई है।
यह शोध कार्य स्वाधीनता संग्राम में मेवाड़ के संघर्ष को उजागर करता है, जिसमें तुर्कों, मुगलों और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार संघर्ष किया गया, जिससे यह क्षेत्र स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरणा का स्रोत बना।