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विकसित भारत विषय पर ऑल इंडिया कॉमर्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ

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19 Oct 24
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विकसित भारत विषय पर ऑल इंडिया कॉमर्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ

उदयपुर। शिक्षाविद नीति निर्माता और उद्यमी जब समग्र रूप से समन्वित प्रयास करेंगे तभी भारत विकसित देश बनेगा और यह कॉन्फ्रेंस प्रबुद्ध प्रोफेसरों को विचार मंथन और शोध प्रस्तुतीकरण का एक राष्ट्रीय मंच दे रही है यह कहना था ऑल इंडिया कॉमर्स कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथी जे.के. तायलिया का। एकॉन इंडस्ट्रीज के एम.डी. तथा पूर्व शिक्षाविद तायलिया ने जोर देते हुए कहा की खुले मन से सभी पक्षोंं पर विचार रखने से ही आर्थिक और औद्योगिक समस्याओं का सही आंकलन और समाधान संभव होगा। उदयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पेसिफिक विश्वविद्यालय में किया जा रहा है जिसमें देशभर के 2300 से अधिक विषय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। 

विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं की सही जानकारी होने पर ही इसका पूर्ण लाभ व्यवसाय जगत को मिलेगा अन्यथा भ्रम, असमंजस और संशय में ही उलझे रहेंगे। यह कॉन्फ्रेंस वास्तव में एक सकारात्मक कदम है जिसके माध्यम से सटीक जानकारी और उसकी व्याख्या जनता को सुलभ होगी। 
मुख्य वक्ता डीन एन.एम.आई.एम.एस. मुम्बई के प्रो. जस्टिन पॉल ने गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी तथा पेसिफिक यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही इस कॉन्फ्रेंस में दो हजार तीन से अधिक शिक्षाविदों व शोधार्थियों को उदघाटन समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं में उद्यमिता विकास तथा समाज के सभी वर्गों को साथ में लेते हुए प्रौद्योगिकी का अनुकूलतम प्रयोग करने पर ही स्थायी विकास के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है अन्यथा संतुलन और वर्ग संघर्ष की समस्या झेलनी पड़ेगी। सर्व शिक्षा व सर्व आवास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही सभी आर्थिक गतिविधियों यथा बैंकिंग, इंश्योरेंस, मैन्युफैक्चरिंग व प्रोसेसिंग का संचालन किया जाना चाहिए इसके लिए विश्वविद्यालयों में व्यवसाय तथा कोर्पारेट जगत से संबंधित सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन की महत्ता विद्यार्थियों को दृढ़तापूर्वक समझनी होगी। 


कॉन्फ्रेंस सेक्रेट्री गोविंद गुरु ट्राइबल वि.वि. के कुलपति प्रो. के.एस. ठाकुर ने कहा कि इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में डिजिटल युग में कॉमर्स तथा मैनेजमेंट की शिक्षा देने के विविध प्रभावी तरीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जनित संभावनाओं व चुनौतियों, मानव संसाधन प्रबंधन, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल पेमेंट, इंश्योरेंस, पर्यटन, ग्रामीण विकास, रोजगार तथा उद्यमिता से संबंधित पहलुओं पर विशेष रुप से शोध पत्र प्रस्तुत किये जा रहे है। 
पेसिफिक यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट प्रो. हेमन्त कोठारी ने स्वागत उदबोधन में कहा कि देश के विकास में कॉमर्स तथा मैनेजमेंट की शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है इससे ही कुशल व जिम्मेदार प्रबंधक, व्यवसायी, उद्यमी तैयार होंगे तथा इसमें देश भर से आए कॉमर्स संकाय के प्रोफेसरों का बड़ा योगदान रहेगा। यह आयोजन इस प्रकार से किया जा रहा है कि कुछ रचनात्मक, सार्थक एवं ठोस परिणाम अवश्य प्राप्त हो जिसका लाभ शिक्षाविदों के माध्यम से विद्यार्थियों से होते हुए अंत में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मिले।

आई.सी.ए. अध्यक्ष दिल्ली वि.वि. के प्रो. अजय सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह वाणिज्यिक शिक्षा और व्यापारिक रणनीतियों में सुधार लाने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करता है, जो देश की आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक है। उद्योग और शिक्षण संस्थानों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करने से ही विद्यार्थियों को वास्तविक व्यापारिक चुनौतियों का अनुभव होगा।
आई.सी.ए. द्वारा तीन प्रमुख शोध पुरस्कारों की घोषणा की गयी। एसोसिएट प्रो. पवन कुमार पटोदिया को शिंदे मेमोरियल अवार्ड के रुप में 50000 रुपये की पुरुस्कार राशि दी गयी।  दक्षिण कन्नडा कॉलेज, कर्नाटक के एम.एस. दिव्यश्री को यंग रिर्सचर अवार्ड के रुप में 25000 रुपये की पुरुस्कार राशि दी गयी। 

दो लाख रुपये के पुरस्कार से सम्मानित प्रो. मनु भाई शाह मेमोरियल अवार्ड के विजेता दक्षिण दिनाजपुर वि.वि. के कुलपति देबाब्रता ने अपने शोध पत्र वाचन में बताया कि समुदाय-आधारित इकोटुरिज्म स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ती है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ मिलता है। कुल मिलाकर, यह मॉडल सतत विकास को बढ़ावा देता है और ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है।

कॉन्फ्रेंस के दूसरे ट्रेक में भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से प्रबंधन शिक्षा दिये जाने पर चर्चा हुई। रामायण में जीवन और नेतृत्व के कई ऐसे सिद्धांत मिलते हैं, जो आधुनिक प्रबंधन में भी उपयोगी हैं। राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरित्रों से नेतृत्व, टीम वर्क, समर्पण, नैतिकता और निर्णय लेने की क्षमता सीखी जा सकती है। इस ट्रेक की चेयरपर्सन मुम्बई वि.वि. की प्रो. किन्नरी ठक्कर तथा को-चेयरपर्सन कुरुक्षेत्र वि.वि. के प्रो. अंशुल शर्मा ने कहा कि वेद, उपनिषद और भगवद गीता में नेतृत्व, प्रेरणा और निर्णय लेने के कई सिद्धांत मिलते हैं, जो आज के प्रबंधकों के लिए मार्गदर्शक हैं। भारतीय आध्यात्मिकता तनाव प्रबंधन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और आत्म-प्रबंधन के माध्यम से व्यक्तिगत और पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करती है। 
शिवाजी वि.वि. कोल्हापुर के प्रो. महाजन और यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर विमेन के प्रो. कृष्णा ने तीसरे कॉन्फ्रेंस ट्रेक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता से भरे परिवेश में एच.आर मैनेजर सिर्फ भर्ती का कार्य और प्रशिक्षण तक सीमित न रहकर, रणनीतिक भागीदार के रूप में है। उसे संस्था में लचीलापन बढ़ाने, संगठन में सकारात्मक संस्कृति बनाने, डिजिटल परिवर्तन अपनाने और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना होगा। कॉन्फ्रेंस का पहला दिन काफी सूचनाप्रद और उत्साहजनक रहा।


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