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नवाचारों को अपनाने के संकल्प के साथ तीन दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सम्पन्न

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20 Oct 24
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नवाचारों को अपनाने के संकल्प के साथ तीन दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सम्पन्न

उदयपुर। लेकसिटी में ख्यातनाम शिक्षाविद, प्रबंधन और वाणिज्य विशेषज्ञों ने भारत के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और नवीन तकनीकों के उपयोग से विकास की गति बढ़ाने पर जोर दिया। गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी और पेसिफिकयूनिवर्सिटी उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान तीन दिवसीय विशाल ऑल इंडिया कॉमर्स कॉन्फ्रेंस विकसित भारत 2047 में रविवार को कई ज्ञानवर्धन विचारों के साथ सम्पन्न हुई । दक्षिण राजस्थान की सबसे बड़ी कांफ्रेंस में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, दो मेमोरियल सेशन तथा चार तकनीकी सत्र हुए जिनके अंतर्गत दो सौ से अधिक बिंदुओं पर गहन अध्ययन को दो हजार तीन सौ से अधिक शिक्षाविदों द्वारा प्रस्तुत किया गया। 

 

पहले दो दिन प्रस्तुत किए गए विभिन्न शोध पत्रों में से दस श्रेष्ठ पत्रों का पुनः विस्तृत वाचन तथा प्रस्तुतीकरण समस्त शोधकर्ताओं के समक्ष किया गया एवं सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र को गोल्ड मेडल व उत्कृष्ट शोध के लिए चार सिल्वर मेडल के नामों की घोषणा आईसीए सचिव प्रो. कुलदीप शर्मा द्वारा की गई।

 

विभिन्न सत्रों के बाद हुए समापन समारोह के मुख्य अतिथि यूनेस्को एमजीआईपी के चेयरपर्सन तथा पेसिफिक ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन के पैट्रोन प्रोफेसर बी.पी. शर्मा ने कहा कि पिछले एक दशक में हुए तीव्र आर्थिक विकास का ही परिणाम है कि भारत दसवें पायदान से आगे बढ़ते हुए आज विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विकास की इस गति को बढ़ाने और देश को तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने के लिए देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर तथा एमएसएमई सेक्टर पर अधिक जोर देना होगा। भारत के पास सर्वाधिक कार्यशील युवा जनसंख्या है इन्हें मैन्युफैक्चरिंग, छोटे व मध्यम स्तर के उद्योगों से जोड़कर ही समुचित लाभ मिलेगा। 

 

पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रसिडेंट प्रो. हेमन्त कोठारी ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन यह दर्शाता है कि हम अपने प्रयासों से शिक्षा और व्यावसायिक कौशल के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं। यह हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि हम अपने छात्रों, फैकल्टी और समाज को विश्वस्तरीय अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं। उन्होंने तीन दिनों में हुए शोधपत्रों के वाचन का विवरण, निष्कर्ष और लाभों की समीक्षा प्रस्तुत की और कहा कि यह सम्मेलन व्यापक विचारों, दृष्टिकोणों और नए शोध के आदान-प्रदान का एक उत्कृष्ट मंच साबित हुआ है। सभी वक्ताओं ने गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की है और उनकी प्रस्तुतियों ने नए दृष्टिकोण और व्यावसायिक जगत के भविष्य को समझने में सक्षम बनाया है। प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और रुचि इस कॉन्फ्रेंस की सफलता का मुख्य कारण रही है।  

 

प्रो. कोठारी ने कहा कि आज का समय डिजिटल क्रान्ति का है। दुनियाभर में कई उद्योगों, नये व्यवसाय और युवाओं ने इस क्षेत्र में काम करके ख्याति और धन अर्जित किया है। 

कॉन्फ्रेंस सेक्रेट्री गोविंद गुरु ट्राइबल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एस. ठाकुर ने कहा कि 75वीं कॉन्फ्रेंस की प्रमुख सिफारिशें रही कि देशभर में वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिए अभियान चलाने ताकि लोग बैंकिंग, निवेश और आर्थिक प्रबंधन के बारे में जागरूक हो सकें। लघु और मध्यम उद्यमों को वित्तीय सहायता और सरकारी नीतियों में सरलता बढ़ाई जावें जिससे उनकी उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सके। 

महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं और आसान ऋण, बाजार विविधीकरण से निर्यात क्षेत्र में सुधार तथा पर्यावरण के अनुकूल व्यापारिक प्रक्रियाओं वाले हरित वाणिज्य को अपनाए ताकि भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सके। व्यापारिक प्रक्रियाओं में डिजिटलाइजेशन, ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स ही विकसित भारत का सपना तेजी से पूरा होगा।

 

आईसीए अध्यक्ष प्रो. अजय सिंह ने व्यावसायिक और वित्तीय विकास के लिए पारम्परिक माध्यमों के साथ नए विकल्पों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। डिजिटलीकरण का लाभ भी उद्योगों को मिल रहा है। शिक्षण सिस्टम को प्रायोगिक करने से विद्यार्थियों को करियर बनाने में आसानी होगी।

कन्वीनर डॉ. दीपिन माथुर ने राष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक सम्मेलनों को नवीन ज्ञान के लिए आवश्यक बताया। साथ ही उदयपुर सम्मलेन की सफलता के लिए सभी को बधाई दी।

 कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले सभी शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों और इंडियन कॉमर्स एसोसिएशन को कन्वीनर डॉ. अनुराग मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन कृपा जैन और मेहंदी शर्मा ने किया।

 


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