(mohsina bano)
उदयपुर, 24 फरवरी। राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमइओ) योजना के तहत सोमवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में खेरवाड़ा, मावली, झाड़ोल, फलासिया और नयागांव पंचायत समितियों के चयनित सौ किसानों ने भाग लिया।
एमपीयूएटी के निदेशक अनुसंधान के नवीन सभागार में आयोजित कार्यशाला में किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के महत्वपूर्ण गुर सिखाए गए। पादप रोग वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. रत्नू ने तिल, मूंगफली, सोयाबीन, अरंडी, सूरजमुखी, सरसों, अलसी और कुसुम जैसी फसलों में लगने वाली बीमारियों और उनके निदान की जानकारी दी।
कीट वैज्ञानिक डॉ. आर. स्वामिनाथन ने तिलहन फसलों में लगने वाले प्रमुख कीटों, मित्र कीटों की पहचान और फसल चक्र अपनाने के लाभों पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, डॉ. पी.बी. सिंह, डॉ. अरविंद वर्मा और डॉ. अभय दशोरा ने मूंगफली की उन्नत किस्मों और खरपतवार नियंत्रण की जानकारी साझा की।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला उदयपुर सुधीर कुमार वर्मा ने बताया कि 2030-31 तक केंद्र सरकार ने तिलहन उत्पादन मिशन के लिए 10,800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें 20% राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
कार्यक्रम में अतिरिक्त निदेशक कृषि निरंजन सिंह राठौड़, सहायक निदेशक श्याम लाल सालवी, उप निदेशक ख्याली लाल खटीक, मिताली राठौड़ और डी.पी. सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।