सिरोही | राजकीय महाविद्यालय सिरोही में मंगलवार को नैक इंस्पेक्शन इन्फॉर्मेशन एंड प्रोसेस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. एसएस भानावत, एनईपी 2020 नोडल ऑफिसर प्रो. केबी जोशी, रजिस्ट्रार डॉ. वीसी गर्ग, परीक्षा नियंत्रक डॉ. आरसी कुमावत, और विश्वविद्यालय के प्रोग्रामर डॉ. एनके पारिक ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन पीजी कॉलेज सिरोही के प्राचार्य प्रो. अजय शर्मा द्वारा किया गया।
प्रो. सुनीता मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान उच्च शिक्षा परिदृश्य में किसी भी संस्थान के लिए नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल) की संबद्धता प्राप्त करना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि नैक के अंतर्गत संबद्धता प्राप्त करने के बाद ही संस्थान विभिन्न प्रकार के वित्तीय लाभ और अन्य अवसरों का लाभ उठा पाते हैं। कुलपति ने नैक पीयर टीम विजिट के बारे में जानकारी दी और बताया कि संस्थान अपनी क्षमताओं का सही तरीके से प्रदर्शन करके नैक के तहत उच्चतम स्कोर प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान को उपलब्ध संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए, ताकि नैक विजिट के दौरान अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकें। उन्होंने एसएसआर रिपोर्ट और कैम्पस विजिट के अंतर्गत अंकों के वर्गीकरण की जानकारी दी और बताया कि नैक पीयर टीम अपने विजिट के दौरान संस्थान के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करती है। उन्होंने नैक मूल्यांकन के तहत जिन सात नए आयामों को जोड़ा गया है, उन पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार डॉ. वीसी गर्ग ने कार्यक्रम आयोजन के लिए प्राचार्य और महाविद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से महाविद्यालयों के शैक्षिक स्तर में सुधार आता है।
प्रो. एसएस भानावत ने अपने संबोधन में कहा कि नैक विजिट के दौरान आईक्यूएसी (इंटर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल) समिति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि किसी भी संस्थान को अपनी क्षमता और कमजोरी का आकलन तब तक नहीं हो सकता, जब तक कोई बाहरी संस्था उसका मूल्यांकन न करे। नैक की प्रक्रिया के तहत यही काम किया जाता है, और संस्थान को अपने निर्धारित विजन के अनुसार कार्य करना चाहिए।
एनईपी 2020 नोडल ऑफिसर प्रो. केबी जोशी ने नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की बात की। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर पद्धति लागू की गई है, जो विद्यार्थियों के शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। उन्होंने बताया कि नई पद्धति से विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर बेहतर होगा और यह नैक के लिए भी फायदेमंद होगा।
परीक्षा नियंत्रक डॉ. आरसी कुमावत ने नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर पद्धति में मूल्यांकन संबंधी नवाचारों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के तहत टेस्ट और असाइनमेंट दोनों ही देना अनिवार्य होगा, ताकि उनके परीक्षा परिणाम बेहतर हो सकें।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य और जिले के अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्य तथा प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।