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उद्योग-आधारित कौशल विकास पर जोर - प्रो. सुनीता मिश्रा

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05 Nov 24
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उद्योग-आधारित कौशल विकास पर जोर - प्रो. सुनीता मिश्रा

उदयपुर, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी (एनएडी) के अंतर्गत आ रही चुनौतियों एवं उनके समाधान पर केंद्रित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि एनईपी 2020 के तहत उद्योग-आधारित पाठ्यक्रमों और व्यावसायिक कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों को इस प्रकार तैयार करना चाहिए जिससे छात्रों को रोजगार के अवसरों में लाभ मिले और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्राप्त हो सके।

कार्यक्रम का शुभारंभ - डॉ. राजेश चन्द्र कुमावत

कार्यशाला की शुरुआत परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश चन्द्र कुमावत के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की आवश्यकता और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। डॉ. कुमावत ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों को समझना और उनका समाधान खोजना है, ताकि छात्रों को बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह कार्यशाला महत्वपूर्ण साबित होगी।

एनएडी की कार्यप्रणाली पर परिचर्चा

कार्यशाला के दौरान डॉ. एन.के. पारीक ने नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी (एनएडी) की भूमिका और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को उनके प्रमाणपत्रों को एनएडी पर अपलोड और डाउनलोड करने की प्रक्रिया विस्तार से समझाई, जिससे शैक्षणिक दस्तावेज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

नई शिक्षा नीति में आ रही चुनौतियों का समाधान

प्रो. के.बी. जोशी ने कार्यशाला में एनईपी 2020 को लागू करने में आ रही चुनौतियों और उनके समाधान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार विश्वविद्यालयों को इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए, ताकि इसके लाभ सीधे विद्यार्थियों तक पहुँच सकें।

कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यशाला का समापन उपकुलसचिव डॉ. मुकेश बारबर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. वरदीचन्द गर्ग, वरिष्ठ लेखाधिकारी डॉ. जी.एल. वसीटा और बी.एल. वर्मा सहित लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यशाला शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।


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