*उदयपुर (डॉ. मुनेश अरोड़ा)* – राजस्थान में न्यायिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की जनता को शीघ्र और सुलभ न्याय मिल सके। हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि ऐसी मांगें अब प्रासंगिक नहीं हैं। अब वकील ई-फाइलिंग के माध्यम से कहीं से भी हाईकोर्ट में मामले दर्ज कर सकते हैं और उन्हें उच्च न्यायालय में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। यह बातें उन्होंने उदयपुर सर्किट हाउस में एक साक्षात्कार के दौरान कहीं।
विधि मंत्री ने स्पष्ट किया कि राजस्थान में किसी भी स्थान पर नई हाईकोर्ट बेंच या वर्चुअल बेंच नहीं खोली जाएगी। सरकार ने न्यायिक प्रणाली को डिजिटल बनाने में 700 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिससे अब वकील अपने घर या कार्यालय से पेपरलेस माध्यम से केस दर्ज कर सकते हैं और ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल द्वारा राजस्थान के तीन शहरों—बीकानेर, कोटा और उदयपुर—में वर्चुअल हाईकोर्ट बेंच खोलने की घोषणा के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर पटेल ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने दोहराया कि राजस्थान में इस प्रकार का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने पुराने मामलों की पेंडेंसी को कम करने के लिए प्रयास तेज किए हैं। उच्च न्यायालय में लंच के बाद पुराने मामलों की सुनवाई के निर्देश दिए गए हैं। न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के लिए जल्द ही न्यायाधीशों के खाली पद भरे जाएंगे।
राजस्थान में विधान परिषद के गठन की मांग पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में पटेल ने कहा कि इस समय ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व कानून मंत्री शांतिलाल चपलोत, भाजपा शहर महामंत्री गजपाल सिंह राठौड़ सहित अन्य नेता उपस्थित थे। इससे पहले, उदयपुर बार एसोसिएशन के वकीलों के एक दल ने भी विधि मंत्री जोगाराम पटेल से मुलाकात की।