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समजसेवा को समर्पित : ‘डॉ. शोभालाल औदीच्य’

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08 Sep 24
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समजसेवा को समर्पित : ‘डॉ. शोभालाल औदीच्य’

डॉ. शोभालाल औदीच्य ने आयुर्वेद के माध्यम से असाध्य रोगों का उपचार कर जरूरतमंद रोगियों को पहुंचाई राहत

आयुर्वेद चिकित्सा के साथ-साथ समजसेवा के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर सक्रिय हैं डॉ. शोभालाल 

डॉ. शोभालाल औदीच्य राजस्थान के एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक और समाजसेवी हैं, जिन्होंने अपने जीवन को स्वास्थ्य सेवाओं और आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति समर्पित कर दिया है। असाध्य रोगों के उपचार में निरंतर सफलताऐं मिलने और लोगों को लंबी बीमारियों से छुटकारा दिला देने वाले डॉ शोभालाल अपने समजसेवा से जुड़े विविध कार्यों के लिए विख्यात हो गए हैं। उनका जीवन चिकित्सकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। लेकिन बहुत काम ही हैं जो उनके जीवन के संघर्षों और कहानियों से वाकिफ है। फेहरिस्त लंबी है और एक लेख में उसको समावेशित करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी यहाँ प्रमुख बातों को समावेशित करने का प्रयास किया गया है।

डॉ. शोभालाल औदीच्य का जीवन समर्पण, संघर्ष, और सेवा की अनूठी मिसाल है। आयुर्वेदिक चिकित्सा और समाज सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में उन्हें एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है। डॉ शोभालाल अपनी सफलता का अपने श्रेय अपनी माता श्रीमती श्रीमती भगवती औदीच्य, पिता वृद्धि शंकर औदीच्य के साथ साथ अपनी पत्नी श्रीमती लीला औदीच्य को भी देते हुए कहते हैं कि उनकी पत्नी ने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और आगे बढ़ने के लिए सदैव प्रेरित, सहयोग किया। उन्होंने मृत्युंजय संस्थान का भी उतना ही आभार जताया है। जीवन की कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हमेशा धैर्य, साहस, और सेवा के मार्ग पर चलते हुए लाखों लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके द्वारा किए गए नवाचार और सेवा कार्य आज के समाज में एक प्रेरणास्रोत हैं, जो सभी को जीवन में सेवा, समर्पण, और कड़ी मेहनत के महत्व का पाठ पढ़ाते हैं। उनके कार्य हमें सिखाते हैं कि जब व्यक्ति समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करता है, तो वह न केवल अपने जीवन को बल्कि अनगिनत लोगों के जीवन को भी बदल सकता है।

डॉ. शोभालाल का जन्म राजस्थान के उदयपुर शहर के ब्रहम पोल में 24 अप्रैल, 1965 को एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता वृद्धि शंकर औदीच्य आयुर्वेद विभाग में रसायन शाला में औषधि सुपरवाइजर के पद पर राजकीय सेवा में थे और उनकी माता भगवती गृहिणी है। डॉ. शोभालाल ने अपनी नवी कक्षा की पढाई के साथ सिलाई काम भी सिखा और पढाई के साथ-साथ सेल्समैन का काम भी किया। स्कूलिंग के बाद मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स करते समय अंतिम वर्ष में 1984 की प्रथम प्री-आयुर्वेदिक टेस्ट की परीक्षा उत्तीर्ण कर मोहता आयुर्वेद महाविद्यालय चूरू से 1984 से 1990 तक 6 वर्षीय बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी बीएएमएस की डिग्री पूर्ण की। इंटर्नशिप 6 माह की मदन मोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय में पूर्ण की।

उसी दरमियान राजस्थान में चल रहे नारू उन्मूलन, स्वच्छ परियोजना में 1991 में लगभग डेढ़ वर्ष तक सुदूर जनजाति बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर 400 लोगों की शल्यकर्म द्वारा नारू निष्कासन का कार्य कर लोगों को राहत दी इसी दौरान उच्च अध्ययन का मन बना कर एमडी के कंपटीशन में भाग लिया। इस प्रतियोगिता परीक्षा में तीसरी रैंक से उत्तीर्ण हुए। उन्होंने मदन मोहन मालवीय महाविद्यालय से रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना में एमडी (आयुर्वेद) में विशेषज्ञता प्राप्त की जिसमें उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर गहन अध्ययन किया। साथ ही यकृत रोग उदर रोग में विशेषज्ञता हासिल की।  डॉ. शोभालाल ने वर्ष 2006 में पीएचडी की उपाधि रसशास्त्र में प्राप्त की जिनमें विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के प्रभाव और उनके चिकित्सीय गुणों का अध्ययन शामिल है।

उनके पिता ने आयुर्वेदिक रसायनशाला उदयपुर में अपने जीवन भर आयुर्वेद के प्रति समर्पित किया था। पिता वृद्धि शंकर औदीच्य के क्रियाकलापों के साथ दादी का भी रसायन शाला में भी आयुर्वेद औषधियां के समर्पण को देखते हुए रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विषय में एमडी करने का विचार किया। वर्ष 1998 में एमडी पूर्ण करने के बाद आयुर्वेद के प्रति और लगाव होने से आयुर्वेद की आयुर्वेद विद्यावरिधि सबसे उच्च पीएचडी की डिग्री रस शास्त्र विषय में 2006 में उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने राजकीय आयुर्वेद औषधालय फूटा बाजार उदयपुर में जॉइन किया जहां कई सुधारात्मक बदलाव किए। जिस अस्पताल में गिनती के लोग पहुंचते थे वहाँ डॉ शोभलाल के आने के बाद ताता लग गया। पंचकर्म और अन्य चिकित्सा पद्धतियों से राहत पाकर मरीज बढ़ने लगे। राजस्थान में 2007 में राजस्थान सरकार ने औषधालय के कार्यो की सराहना कर राजस्थान में प्रथम आयुर्वेद आदर्श औषधालय की घोषणा की गई। यह क्षेत्र का इकलौता ऐसा औषधालय था जिसमें पंचकर्म चिकित्सा यूनिट की स्थापना की गई जिसका लाभ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र एवं स्थानीय एवं अन्य राज्यों के साथ-साथ देश विदेश के लोगो को लाभान्वित किया जा रहा है। साथ ही देश-विदेश के लोग पंचकर्म को देखने एवं सिखने के लिए समय समय पर आते रहते है।

इस औषधालय की विशेषताओं को एवं नवाचारों को देखते हुए देश के जाने माने जनप्रतिनिधि और अधिकारी यहाँ निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की सराहना कर चुके हैं। महामहिम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा मंत्री दिगंबर सिंह, सांसद मन्नालाल रावत जैसे कई जनप्रतिनिधियों ने भी आकर औषधालय का अवलोकन कर कार्यो की सराहना की है। तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी जैसे प्रमुख शासन सचिव तपेंद्र कुमार, शासन सचिव अशोक शेखर, जिला कलक्टर आनंद कुमार, आईएएस जितेंद्र उपाध्याय, जिला कलक्टर हेमंत गेरा, जिला कलक्टर चेतन देवड़ा सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अवलोकन कर कार्यो की सराहना की। साथ ही

डॉ शोभालाल के अनुसार इस औषधालय की रोगी संख्या 2002 से पूर्व नगण्य थी जो 2002 से निरंतर उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई है जिसमें अब तक 32 लाख 82 हजार सात सौ दस से अधिक रोगियों को परामर्श दिया जा चुका है। साथ ही वर्तमान में 2016 से पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के माध्यम से निशुल्क 32 पांच दिवसीय शिविरों का आयोजन कर सभी रोगियों को लाभ दिया जा रहा है। साथ ही ऑनलाइन के माध्यम से भी पर प्रतिदिन देश विदेश के लोगो को आयुर्वेद परामर्श दिया जा रहा है । उदयपुर के स्थानीय एवं जनजाति बाहुल्य के रोगियों के साथ अन्य राज्यों एवं देश-विदेश के रोगी आकर लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य सरकार की स्वर्ण प्राशन संस्कार समिति के सदस्य सचिव रूप में एवं कई सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में अध्यक्ष एवं सदस्य पद का निर्वहन करते हुए राजकीय सेवा एवं सामाजिक सेवा का निर्वहन कर रहे है। मूलभूत सुविधाओं पर आधारित ट्रेनिंग प्रोग्राम के मास्टर ट्रेनर के रूप में नर्स कंपाउंडर चिकित्सा अधिकारी एवं वरिष्ठ चिकित्साधिकारी को ट्रेनिंग देकर श्रेष्ठ औषधालय बनाने का मंत्र दिया गया ।

कोरोना महामारी के दौरान एवं विभिन्न मौसमी बीमारियों में विभिन्न ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य भूमिका के रूप में ट्रेनिंग एवं जन जागरूकता की। गरीब एवं कमजोर वर्ग के रोगियों के लिए दवाइयां की व्यवस्था के लिए जन सहयोग स्थानीय दानदाताओं एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा औषधि बैंक का निर्माण किया गया जिसकी पहल डॉ शोभालाल द्वारा की गई। वर्ष 2015 से जरूरतमंदों को निशुल्क औषधि दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र जनजाति बाहुल्य के गांव सेमड में पक्की नालियों का निर्माण एवं रोड लाइट के साथ आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था जन सहयोग से कर गांव को स्मार्ट बनाया गया एवं औषधालय को सुव्यवस्थित कर जनता को स्वास्थ्य लाभ के साथ स्वच्छ वातावरण उपलब्ध करवाया है।

औषधालय में स्थानीय योग प्रशिक्षकों द्वारा नियमित रूप से योग कक्षाओं का आयोजन वर्ष 2007 से किया जा रहा है जिसका लाभ स्थानीय लोगों को निरंतर मिल रहा है। साथ ही रोगानुसार विशेष योग शिविर मोटापा निवारण मधुमेह अनिद्रा समय समय पर लगाये जा रहे है। चिकित्सा शिविर जिसमे अम्लपित्त, डायबिटीज, संधिवात, माइग्रेन, पथरी, इनफर्टिलिटी, एलर्जिक, जुकाम, जॉइंट्स पैन, बॉन डेंसिटी आदि व वर्ष में 1 बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया हो रहा है जिससे स्थानीय ब्लड बैंकों में रक्त की आपूर्ति से आमजन को सुलभ रक्त की उपलब्धता हो सके।

डॉ शोभलाल ने अनेक आयुर्वेद औषधियो का निर्माण यथा ब्राह्मी घृत, नाराच घृत, त्रिफला घृत, शतावरी घृत, अपत्यकर घृत, ब्राह्मी तेल, भृंगराज तेल, रस औषधियों, चूर्ण, वटी अवलेह, घनसत्व, अर्क, आदि रस शास्त्र में वर्णित रोगानुसार औषध बनाकर रोगों का उपचार कर सफलता प्राप्त की है। डॉ. शोभालाल औदीच्य ने वर्ष 2007 से ही आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा विधाओ  के माध्यम से औषधालय में जन सहयोग से कमर दर्द घुटने का दर्द माइग्रेन, जॉइंट्स पैन, सायटिका, स्पाँडिलायटिस, एवैस्कुलर नेक्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, सी पी के, जीर्ण प्रतिश्याय जैसे रोगों में लोगों निरंतर शिविरों एवं नियमित रूप से लाभान्वित कर रहे हैं।

डॉ. शोभालाल औदीच्य ने जनजाति बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों कनबाई, कोटडा, बिकरनी, सायरा, झाडोल, फलासिया, बिरोठी, सेमारी, अडिन्दा, केशरियाजी, मेनार, सेमड, मालवा का चौरा, भानपुरा आदि उदयपुर के जनजाति क्षेत्रो में आयुर्वेद चिकित्सा शिविर के साथ साथ डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ़, धरियावद, कानोड़, बूंदी, कोटा, झालावाड, भरतपुर, बीकानेर, अजमेर, मेरठ, पार्श्वनाथ, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, नाथद्वारा, राजसमंद, ओडन, केलवा, रिछेड, आदि दर्जनों जगह पर निशुल्क चिकित्सा शिविर लगा कर लोगो को राहत देकर उनके स्वास्थ्य सुधार के लिए सहयोग किया है।

डॉ शोभालाल औदीच्य ने जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में 6 माह से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए स्वर्ण प्राशन संस्कार महाभियान एवं रक्ताल्पता निवारण हेतु आयुर्वेद आधारित औषधी का निशुल्क वितरण किया है। स्वाइन फ्लू के प्रकोप के दौरान प्रभावशाली आयुर्वेदिक क्वाथ का वितरण किया जिसने स्वाइन फ्लू से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अभियान के तहत हजारों लोगों को क्वाथ प्रदान किया गया, जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हुई और वे स्वस्थ बने रहे। कोरोना महामारी के दौरान, वैद्य शोभालाल औदीच्य ने आयुर्वेदिक क्वाथ का वितरण कर लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शहर भर और समस्त कोरेंटिन सेंटर में क्वाथ वितरण किया, जिससे संक्रमित और संदिग्ध व्यक्तियों को लाभ मिला। इसके साथ ही, उदयपुर के प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को भी इम्युनिटी बूस्टर क्वाथ, अश्वगंधा, और अणु तेल का वितरण कर उनकी इम्युनिटी बढ़ाने में योगदान दिया।

गर्मी में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों, अधिकारियों, पुलिस कर्मियों और आम जनता के लिए डॉ. शोभालाल औदीच्य ने जनसहयोग से अमृत धारा का निर्माण कर निशुल्क वितरण अभियान चलाया। मुख्यमंत्री महोदय द्वारा इस कार्य की सराहना की गई और इसे पूरे राजस्थान में लागू किया गया। कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने प्रातः योग अभ्यास का आयोजन किया, जिससे लोगों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ। 2015 से 2024 तक, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे योग के प्रति जागरूकता बढ़ी और लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा मिली।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में 'मिशन लेंटाना' के तहत सज्जनगढ़ सेंचुरी से लेंटाना खरपतवार हटाने का अभियान चलाया गया। इस अभियान ने सेंचुरी की जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने में मदद की और स्थानीय समुदाय को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। डॉ. शोभालाल औदीच्य ने 'गिलोय वितरण' अभियान चलाकर लोगों को औषधीय पौधों के महत्व से अवगत कराया और उनकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि की। विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर गिलोय के पौधे लगाए गए, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों को लाभ पहुंचा।

डॉ. शोभालाल औदीच्य के ये नवाचार और जनहित कार्य समाज को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने में उनके समर्पण को दर्शाते हैं। डॉ. शोभालाल ने भारत विकास परिषद, रोटरी कलब, अलर्ट संस्थान, धन्वन्तरी सेवा संस्थान, जैन सोशियल ग्रुप,लोयंस परिसंघ, इनर विलर क्लब, सजग वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान, नारायण सेवा संस्थान, पथमेड़ा गौ सेवा संस्थान अनुव्रत सेवा समिति, विज्ञान समिति, पर्यावरण शिक्षा समन्वयक समिति, मुस्कान क्लब, उमंग सेवा संस्थान, संजीवनी सेवा समिति, समता यूवा संस्थान सामाजिक सेवाएँ की जिनमें स्वास्थ्य शिविरों संभाषण शिविरों का आयोजन और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।

उनके कई रोगियों ने उनकी चिकित्सा सेवाओं के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी हैं और उनकी कहानियाँ प्रेरणादायक रही हैं। इसमें लीवर के रोगी, कैंसर के रोगी, त्वचा के रोगी, पथरी के रोगी, घुटने व् कमर दर्द के रोगी, सायटिका रोग के रोगी अवस्कुलर नेक्रोसिस के रोगी, माइग्रेन के रोगी अन्य चिकित्साओ से असफल  निन्संतानाता के स्त्री पुरुष 700 से अधिक रोगी का सफल इलाज कर घर में खुशियों का आलम हुआ, ऐसे  कई रोगों के रोगियों के विडिओ आज इंटरनेट पर उपलब्ध है जिसकी मदद से पुरे भारत वर्ष एवं विदेशी रोगी भी लाभ ले रहे है। डॉ. शोभालाल के जीवन में उनकी नानी एवं पिताजी के आयुर्वेद के समर्पण को देखते हुए प्रेरित होकर जिन्होंने उन्हें समाज सेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुए।

डॉ. शोभालाल ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों और संघर्षों का सामना किया, इनके पुत्र का अचानक स्वर्गवास होने से विचलित हुए थे परन्तु  लेकिन उन्होंने हमेशा धैर्य और साहस से काम लेते हुए आयुर्वेद से जनता का सुखी करने का मन बनाया । डॉ. शोभालाल ने नए चिकित्सकों को सदैव मार्गदर्शन और प्रेरणा दी और उन्हें अपने अनुभवों से लाभान्वित किया। उन्होंने कई बीएएमएस, एमडी योगाचार्य एवं नेचुरोपैथी के साथ साथ आयुर्वेद सह कर्मियों को भी अपनी विधा एवं चिकित्सा अनुभवो का जनहित के लिए सार्वजनिक किया है जिससे भविष्य में आयुर्वेद योग एवं नेचुरोपैथी घर घर तक पहुंचाई जा सके। साथ ही सुझाव दिया है कि समय का पालन स्वयं का अनुशासन और आयुर्वेद के प्रति समर्पण ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

डॉ. शोभालाल औदीच्य का जीवन पूरी तरह से मरीजों की सेवा और उनके कष्टों को दूर करने के प्रति समर्पित है। हर मरीज को राहत देना उनका ध्येय है, और इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए वे दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं। चाहे असाध्य रोग हो या लंबे समय से चली आ रही बीमारियाँ, डॉ. शोभालाल ने अपने आयुर्वेदिक ज्ञान और अनुभव से अनगिनत मरीजों को राहत प्रदान की है। उनके समर्पण और मरीजों के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता ने उन्हें एक चिकित्सक के रूप में अद्वितीय बना दिया है। उनके लिए हर मरीज की सेहत और खुशहाली सबसे पहले है, और इसी ध्येय के लिए वे जीवनभर समर्पित रहे हैं।

डॉ. शोभालाल औदीच्य को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए विभिन्न मंचों से सैकड़ों सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें जिला कलक्टर, उदयपुर द्वारा योग शिविरों के आयोजन के लिए, और प्राकृतिक चिकित्सालय में योग सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया है। धर्मोत्सव समिति मेवाड़ ने उन्हें आयुर्वेद क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया, जबकि राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड विश्वविद्यालय और रोटरी क्लब ने उन्हें महर्षि चरक सम्मान प्रदान किया। शिवाजी नगर में आयोजित शिविर के लिए नगर निगम, उदयपुर द्वारा, और रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, न्यूरो थेरेपी चिकित्सा शिविर और प्रमेह मंथन इंटरनेशनल सेमीनार में उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया। मदन मोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर में आयोजित नेशनल सेमिनार में उन्हें सुश्रुत सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा, अखिल भारतीय जैन महासंघ ने उन्हें जैन मुनियों की सेवा के लिए, और समता युवा संस्थान ने आयुर्वेद क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया। सर्व ब्राह्मण समाज ने उन्हें 'कुल गौरव' सम्मान से विभूषित किया। आदिवासी जनजातीय और शहरी क्षेत्रों में निरंतर आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविरों के माध्यम से आयुर्वेद को घर-घर पहुंचाने के उनके प्रयासों के लिए उन्हें वर्तमान राज्यपाल एवं राजस्थान सरकार में तत्कालीन मंत्री श्री गुलाबचंद कटारिया द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा सैंकड़ों और सम्मान और पुरस्कार विविध मंचों से मिले हैं। 

डॉ. शोभालाल औदीच्य का जीवन पूरी तरह से मरीजों की सेवा और उनके कष्टों को दूर करने के प्रति समर्पित है। हर मरीज को राहत देना उनका ध्येय है, और इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए वे दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं। चाहे असाध्य रोग हो या लंबे समय से चली आ रही बीमारियाँ, डॉ. शोभालाल ने अपने आयुर्वेदिक ज्ञान और अनुभव से अनगिनत मरीजों को राहत प्रदान की है। उनके समर्पण और मरीजों के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता ने उन्हें एक चिकित्सक के रूप में अद्वितीय बना दिया है। उनके लिए हर मरीज की सेहत और खुशहाली सबसे पहले है, और इसी ध्येय के लिए वे जीवनभर समर्पित रहे हैं।


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