GMCH STORIES

‘एक बड़ी राहत’ - सीताराम येचुरी

( Read 37860 Times)

25 Mar 15
Share |
Print This Page
आईटी कानूनी की एक धारा को निरस्त करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए आज माकपा ने कहा है कि यह फैसला नागरिकों की स्वतंत्रता और मूलभूत अधिकारों की तो रक्षा करता ही है साथ ही यह पश्चिम बंगाल जैसी राज्य सरकारों को भी एक ‘सटीक संदेश’ भेजता है कि वे असहमति के स्वर को दबा नहीं सकतीं। माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा कि इस प्रावधान का दुरूपयोग उतना किसी ने नहीं किया गया, जितना कि कई सत्ताधारी सरकारों, जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार, ने असहमति या आलोचना के स्वरों को दबाने के लिए किया है। हम उम्मीद करते हैं कि ममता बनर्जी और असहमति के स्वरों को दबाने के लिए 66 ए का इस्तेमाल करने वाले नेताओं को उच्चतम न्यायालय के फैसले से सही संदेश जाएगा।

न्यायालय ने आज साइबर कानून की एक धारा को निरस्त कर दिया, जो कि पुलिस को वेबसाइट पर कथित ‘आपत्तिजनक’ सामग्री डालने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है। करात ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस मुद्दे पर ‘एक ही जैसा अलोकतांत्रिक रूख’ बनाकर रखा। जो तर्क शीर्ष अदालत के समक्ष कांग्रेस ने दिया था, वही तर्क भाजपा ने भी रखा। करात ने कहा, ‘‘इन दोनों ही दलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे बिल्कुल भी प्रतिबद्ध नहीं हैं। बल्कि वे तो इस तरह के प्रावधानों का इस्तेमाल राजनीतिक असहमति के खिलाफ करना पसंद करेंगे। दोनों ही दलों ने दिखा दिया है कि जहां तक लोकतांत्रिक असहमति को दबाने का सवाल है, इन दोनों दलों के विचार एक जैसे हैं।’’

उनकी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य सीताराम येचुरी ने भी इस फैसले को ‘एक बड़ी राहत’ बताया और कहा कि इस प्रावधान का इस्तेमाल ‘‘कुछ लोगों के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए’’ किया गया, जो कि पूरी तरह अनुचित है। माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि आईटी कानून की ‘कठोर’ धारा 66ए का इस्तेमाल ‘‘सत्ता में मौजूद लोगों के खिलाफ उठने वाले आलोचना के स्वरों को दबाने के लिए और उन लोगों को गिरफ्तार करने के लिए किया गया, जिन्होंने सरकार के खिलाफ असहमति के विचार रखे थे।’’
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like